वीडियो साक्ष्य होने के बावजूद मालीपुर पुलिस का हीलाहवाली रवैया सवालों के घेरे में
अवधी खबर संवाददाता
अंबेडकरनगर(प्रमोद वर्मा)। जनपद के मालीपुर थाना क्षेत्र के ग्राम गुवाँवा जमालपुर से शर्मसार कर देने वाली एक घटना सामने आई है, जहाँ दो नाबालिग बहनों के साथ छेड़छाड़, जबरदस्ती और निर्मम पिटाई के बाद भी स्थानीय पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने से इनकार कर दिया। पीड़ित पिता शिवपूजन पुत्र रामआसरे ने वीडियो साक्ष्य सहित पुलिस अधीक्षक से न्याय की गुहार लगाई है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार 18 जून की शाम लगभग 7 बजे, शिवपूजन की नाबालिग बेटियाँ चंदा और संध्या शौच के लिए घर से निकली थीं। तभी गांव का निवासी बलिराम पुत्र झकड़ी एक अज्ञात युवक के साथ वहां पहुँचा और दोनों बच्चियों के साथ अश्लील हरकतें करते हुए जबरदस्ती करने लगा। शोर सुनकर ग्रामीणों की आहट से आरोपी मौके से भाग निकले।
लेकिन घटनाक्रम यहीं नहीं थमा। जब दोनों बहनें घर लौट रही थीं और बलिराम के घर के पास से गुजर रही थीं, तभी बलिराम के परिजनों कुसुमलता, नीतू, सरोजा, सुलेखा, अंजली, विकास व आदर्श ने उन्हें रोक लिया और लाठी, डंडे, ईंटों और लात-घूंसों से बेरहमी से पीटना शुरू कर दिया। पीड़िता की मां रीता जब मौके पर पहुंचकर बीच-बचाव करने लगीं, तो हमलावरों ने उन्हें भी निशाना बनाते हुए गंभीर रूप से घायल कर दिया।

अखिलेश, विक्रम, गेंना देवी, रेशमा और आलोक ने हस्तक्षेप कर किसी तरह पीड़ितों की जान बचाई। लेकिन आरोपियों ने गाली-गलौज करते हुए जान से मारने की धमकी दी और मौके से फरार हो गए।
सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि घटना का स्पष्ट वीडियो उपलब्ध होने के बावजूद मालीपुर थाना पुलिस ने न तो एफआईआर दर्ज की, न ही पीड़ितों का मेडिकल परीक्षण कराया।
इस लापरवाही और संवेदनहीनता से आहत शिवपूजन ने अपनी घायल बेटियों और पत्नी को लेकर पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुँचकर लिखित शिकायत दी है और तत्काल कानूनी कार्रवाई की मांग की है। पीड़ित का आरोप है कि थाने में आरोपी पक्ष का दबदबा है, जिस कारण निष्पक्ष सुनवाई नहीं हो पा रही है। उन्होंने एसपी से मांग की है कि मामले की निष्पक्ष जांच कराते हुए आरोपियों को जल्द गिरफ्तार किया जाए और बालिकाओं को न्याय दिलाया जाए।
जनता पूछ रही है
जब वीडियो सबूत के बावजूद पुलिस चुप है, तो आम जनता को न्याय कैसे मिलेगा? प्रशासन की चुप्पी और थाना स्तर पर बरती जा रही लापरवाही ने एक बार फिर पुलिस व्यवस्था की साख पर सवाल खड़े कर दिए हैं। देखना होगा कि अब पुलिस अधीक्षक इस मामले में कितनी तत्परता से कदम उठाते हैं।



