अवधी खबर संवाददाता
अंबेडकरनगर/अयोध्या (प्रमोद वर्मा)।
रामबली नेशनल इंटर कॉलेज, गोसाईगंज से जुड़ा एक गंभीर भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। आरोप है कि विद्यालय में फर्जी नियुक्तियों, बिना स्वीकृति वेतन भुगतान और शैक्षिक योग्यता में गड़बड़ी जैसे मामलों में शिक्षा विभाग के नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई गईं।
सरोज कुमार द्विवेदी का मामला बना भ्रष्टाचार की मिसाल
जांच रिपोर्ट के अनुसार, सरोज कुमार द्विवेदी, निवासी ग्राम अहिरौली, थाना अहिरौली, जनपद अम्बेडकरनगर ने एक साथ दो अलग-अलग पदों पर कार्य करते हुए वेतन प्राप्त किया, जो कि नियमों का खुला उल्लंघन है। उनके सेवा अभिलेखों में गंभीर विसंगतियाँ पाई गई हैं और नियुक्ति से संबंधित कोई वैध दस्तावेज अब तक प्रस्तुत नहीं किया गया है।
मुख्य चिकित्साधिकारी अयोध्या और स्वास्थ्य महानिदेशक द्वारा जारी पत्रों में इस बात की पुष्टि की गई है कि नियुक्ति प्रक्रिया पूरी तरह से संदिग्ध रही है और दस्तावेजों में भारी गड़बड़ी सामने आई है।
अन्य नियुक्तियां भी संदेह के घेरे में
उर्दू प्रवक्ता के पद पर सैयद शरीर हैदर रिज़वी की नियुक्ति को भी नियमविरुद्ध माना गया है क्योंकि यह पद विद्यालय में वित्तपोषित ही नहीं था।
हिंदी प्रवक्ता के रूप में कार्यरत राजेश तिवारी ने अपनी शैक्षिक योग्यता नियुक्ति के लगभग पांच वर्ष बाद पूर्ण की, जो कि शिक्षा सेवा नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है। गणित, विज्ञान और अन्य विषयों के प्रवक्ताओं की नियुक्तियों में भी फर्जीवाड़े और अनियमितताओं की पुष्टि हुई है। कई शिक्षक बिना वैध चयन प्रमाण और बिना स्वीकृत पद के वर्षों से वेतन प्राप्त कर रहे हैं।
शिकायतकर्ता ने उच्चस्तरीय जांच की मांग की
इस मामले को उजागर करने वाले शिकायतकर्ता कामता प्रसाद ने प्रमुख सचिव, सतर्कता विभाग एवं प्रमुख सचिव, माध्यमिक शिक्षा को शिकायती पत्र भेजा है। उन्होंने कहा कि यह पूरा मामला शिक्षा व्यवस्था पर एक बड़ा धब्बा है और यदि दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई नहीं हुई, तो इससे सरकारी तंत्र की साख और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े होंगे। उनका आरोप है कि स्थानीय स्तर पर मामले की लीपापोती की जा रही है और भ्रष्टाचारियों को बचाने की कोशिश हो रही है। उन्होंने मांग की है कि दोषियों की पहचान कर कानूनी कार्रवाई की जाए और वेतन वसूली की प्रक्रिया तत्काल शुरू की जाए।
“शिक्षा विभाग में इस तरह का भ्रष्टाचार निंदनीय है। यदि पारदर्शिता और ईमानदारी सुनिश्चित करनी है, तो ऐसे मामलों में कठोर दंड आवश्यक है।”
– कामता प्रसाद, शिकायतकर्ता





