अवधी खबर संवाददाता
बस्ती। उत्तर प्रदेश के सभी जिलों के सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी ने एकजुट होकर मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन ज़िलाधिकारी और मुख्य चिकित्सा अधिकारी को सौंपा। इस अवसर पर स्वास्थ्य अधिकारियों ने सरकार की कार्यशैली पर गहरी नाराज़गी जताई और जुलाई 2025 से लंबित मानदेय, परफॉर्मेंस बेस्ड इंसेंटिव (PBI), TA, कम्युनिकेशन और वेलनेस एक्टिविटी सहित अन्य बकाया देयकों के भुगतान की मांग की।
एसोसिएशन ऑफ CHO के जिला अध्यक्ष प्रवेश पटेल ने बताया कि सरकारी अधिकारियों की लापरवाही और भुगतान में देरी के कारण स्वास्थ्य कर्मियों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा, “सरकार हमें गाँव-गाँव में स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ मानती है, लेकिन हमारी मेहनत का मेहनताना महीनों से रोका गया है। यह न केवल अमानवीय है, बल्कि सरकारी वादाखिलाफी का भी प्रमाण है। अगर सरकार हमारी उपेक्षा जारी रखती है तो संगठन मजबूरन सड़क पर आंदोलन करने के लिए बाध्य होगा।
ज्ञापन में प्रमुख मांगों में शामिल हैं जुलाई 2025 से लंबित मानदेय का तत्काल भुगतान हो, PBI, TA, कम्युनिकेशन और वेलनेस एक्टिविटी सहित सभी बकाया राशि का निस्तारण, भविष्य में मानदेय और प्रोत्साहन राशि समय पर जारी करने की ठोस व्यवस्था की जाय।
ज्ञापन कार्यक्रम में प्रदेशभर के जिले से भारी संख्या में CHO शामिल रहे। एसोसिएशन के पदाधिकारी और सदस्य उपस्थित थे, जिनमें जिला महामंत्री निरंकुश शुक्ला, महिला महामंत्री दीपिका पाण्डेय, जिला वरिष्ठ उपाध्यक्ष अरुण वर्मा, जिला उपाध्यक्ष रामवृक्ष, जिला कोषाध्यक्ष आशीष पाण्डेय, जिला महिला उपाध्यक्ष बरखा गौड़, और अन्य सदस्य प्रमुख रूप से शामिल थे।
कार्यक्रम में उपस्थित अधिकारियों ने कहा कि अगर सरकार ने समय पर देयकों का भुगतान नहीं किया तो आंदोलन की अगली रूपरेखा सड़कों पर स्पष्ट रूप से दिखाई देगी। सभी CHO ने यह भी जोर देकर कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं में उनकी मेहनत और योगदान को नकारा नहीं जा सकता, और सरकार को उनके हक़ के भुगतान में विलंब नहीं करना चाहिए।
ज्ञापन देने के बाद उपस्थित सभी अधिकारियों और सदस्यों ने सरकार से त्वरित कार्रवाई की अपील की और भविष्य में इस तरह की समस्याओं से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की।




