
मेवालाल प्रवक्ता एस एन इंटर कॉलेज इंदईपुर पर गबन के चार मुकदमे दर्ज होने थे लेकिन एक भी मुकदमा नहीं हुआ पंजीकृत
थाना अध्यक्ष आलापुर निहित लाभ लेकर नहीं किया मुकदमा पंजीकृत
विभागीय आदेश पर तहरीर देने वाले का थाना अध्यक्ष ने इतना उत्पीड़न किया कि मजबूर होकर अयोध्या चला गया
थाना अध्यक्ष की कार्य शैली की जांच हो जाए तो खुद जेल चला जाए
शिकायत कर्ता जिला क्राइम संवाददाता हरीलाल प्रजापति को ही निजी लाभ के लिए शिकायत करने का लगा दिया आरोप
अम्बेडकर नगर। जनपद के एस एन इंटर कॉलेज इंदईपुर के प्रधानाचार्य रहे शिव कुमार मिश्र ने जिला विद्यालय निरीक्षक अंबेडकरनगर के आदेश पर 186000 के सरकारी धन के गबन का मुकदमा दर्ज करने के लिए 27 अप्रैल 2024 को थाना अध्यक्ष आलापुर को तहरीर दी थी। लेकिन थाना अध्यक्ष उस तहरीर पर गम्भीरता से नहीं लिया जिसकी शिकायत मुख्यमंत्री पोर्टल पर किया निस्तारण में थाना अध्यक्ष ने गबन के आरोपी मेवालाल के बयान के आधार पर लिख दिया था कि सरकार ने जिस सामान को खरीदने के लिए पैसा दिया था वह सामान खरीदा गया है और ऑडिट रिपोर्ट भी आ चुकी है।
इस रिपोर्ट के बाद थाना अध्यक्ष राकेश कुमार सिसोदिया स्वयं फस गए
क्योंकि वह धन सरकार ने नहीं बल्कि छात्रों के अभिभावकों द्वारा जमा किया गया था और ऑडिट होना तो दूर अभिभावक शिक्षक संघ नियमावली के अनुसार आज तक उस विद्यालय में स्वतंत्र ऑडिटर नियुक्त ही नहीं किया गया है। प्रकरण में जब थाना अध्यक्ष राकेश कुमार सिसोदिया फसने लगे तो उन्होंने मेवालाल पर दबाव डाला कि मामलों को किसी तरह रफा दफा कराए वरना सब लोग बुरे फसेंगे इसके बाद मेवालाल को कोई रास्ता न सूझा तो उन्होंने पूर्व प्रधानाचार्य शिवकुमार मिश्र पर दबाव बनाना शुरू कर दिया कि आप तहरीर वापस ले लीजिए। जबकि थाने में दी गई तहरीर वापस लेने का तो कोई प्रावधान नहीं है तहरीर दी जाती है पुलिस उसपर जांच कर गुण दोष के आधार पर मुकदमा पंजीकृत करती है या तो निस्तारित कर देती है। आज तक कभी यह नहीं सुना गया कि दी गई तहरीर विवेचना होने के बाद कोई थाने से वापस लिया हो। मेवालाल को इसके बारे में शायद ज्यादा जानकारी हो क्योंकि उन्होंने इससे पहले भी कई मुकदमे खुद दर्ज करवाए हैं। जिसमें पूर्व प्रधानाचार्य शमीम अहमद खान के विरुद्ध शासकीय धन के गबन का मुकदमा दर्ज कराया है। दो मुकदमे उन्होंने SC ST एक्ट के अंतर्गत दर्ज कराए हैं लेकिन जब अपने विरुद्ध मुकदमा दर्ज होने की बात आई तो उन्हें कानून में कमी लगने लगे है।
मीडिया पड़ताल में यह बात सामने आई
गौरतलब है जब भी मेवालाल के विरुद्ध कोई जांच कराई जाती है या किसी के द्वारा कोई कार्रवाई की जाती है तो वह तुरंत SC ST एक्ट के अंतर्गत मुकदमा दर्ज करवा देते हैं। उनका आरोप रहता है कि सामने वाला विद्यालय में आकर उन्हें जाति सूचक शब्द कहा और जान से मारने की धमकी दी। इसी तरह जब प्रबंधक ने मा0 राज्य सूचना आयोग के आदेश पर मेवालाल को निलंबित कर सेवा समाप्त की कार्रवाई की तो मेवालाल ने प्रबंधक के विरुद्ध SC ST एक्ट के अंतर्गत मुकदमा दर्ज करा दिया। पूर्व में जब एक आरटीआई कार्यकर्ता ने उनके द्वारा 186000 के शासकीय धन के गबन का मुद्दा उठाया तो उन्होंने आरटीआई कार्यकर्ता के विरुद्ध भी SC ST एक्ट के अंतर्गत मुकदमा दर्ज करवा दिया। जबकि मीडिया पड़ताल में पता चला कि वह आरटीआई कार्यकर्ता उस दिन विद्यालय में गया ही नहीं था। इस संबंध में जब गवाहों से उनका वर्जन लिया जाता है कि क्या उन्होंने है आरटीआई कार्यकर्ता द्वारा मेवालाल को गाली देते हुए देखा या सुना था तो गवाह फोन ही काट देते हैं। जब पूरे प्रकरण में मेवालाल से उनका वर्जन जानने के लिए फोन किया गया तो भड़क गए कि हम अपना वर्जन नहीं देना चाहते हम अदालत में देंगे जो देना होगा। जबकि पूर्व में अक्सर शिकायत करते थे की खबर छापने से पहले हमसे हमारा वर्जन नहीं लिया गया। जब कि सवाल बहुत आसान थे इसमें नाराज होने की क्या बात है।
जबकि मेवालाल के ऊपर गबन के चार एफआईआर दर्ज होने थे, लेकिन आलापुर थाना अध्यक्ष निहित लाभ पाकर मेवालाल को बचाते चलें आ रहे हैं
जानकारी मिल रही है कि मेवालाल के ऊपर गबन के चार मुकदमे दर्ज होना था लेकिन थाना अध्यक्ष आलापुर एक भी मुकदमा पंजीकृत नहीं किया , प्रधानाचार्य रहे शिव कुमार मिश्र ने जिला विद्यालय निरीक्षक अंबेडकरनगर के आदेश पर मेवालाल के खिलाफ तहरीर दिया था लेकिन थाना अध्यक्ष राकेश कुमार ने शिवकुमार मिश्र को थाना दौडा – दौड़ा कर परेशान कर दिए तब जाकर शिवकुमार मिश्र प्रधानाचार्य मीडिया के सामने आए। और मीडिया ने खबर प्रकाशित किया था।
मामला मीडिया कर्मी के संज्ञान आया तो जिला क्राइम संवाददाता हरीलाल प्रजापति मुख्यमंत्री पोर्टल शिकायत दर्ज किया
जिला क्राइम संवाददाता हरीलाल प्रजापति के द्वारा एक छोटी सी शिकायत दर्ज किया शिवकुमार मिश्र प्रधानाचार्य के द्वारा एक शिकायत दिया गया था, कि मेवालाल के द्वारा शासकीय धन गबन किया गया इस मामले में एफआईआर दर्ज किया गया या नहीं अगर नहीं किया गया हो तो जांच करएफआईआर दर्ज किया जाए उसके बाद से तो मानो थाना अध्यक्ष ने कोहराम ही मचा दिया। पूर्व प्रधानाचार्य शिवकुमार मिश्र पर इतना दबाव डाला कि वह एस एन इंटर कॉलेज से अपना स्थानांतरण लेकर अयोध्या चले गए। फिर भी उन्हें मेवालाल और थाना अध्यक्ष राकेश कुमार सिसोदिया निरंतर परेशान करते रहे जिससे पूर्व प्रधानाचार्य श्री शिवकुमार मिश्र मीडिया से सहयोग मांगते रहे। इस संबंध में जितनी बार भी थाना अध्यक्ष, क्षेत्राधिकार महोदय आलापुर या कप्तान साहब को शिकायत दी गई सभी की जांच थाना अध्यक्ष राकेश कुमार सिसोदिया को ही मिलती थी और वह प्रत्येक बार शिकायतों का फर्जी निस्तारण अनाप-शनाप बयान लिखकर करते रहे हैं यदि उनकी सारी रिपोर्ट को एक साथ जोड़ कर उनके सामने प्रस्तुत किया जाए तो उन्हें स्वयं ने विश्वास नहीं होगा कि यह सब उन्होंने लिखा है। जैसे उन्होंने एक बार दाव खेला कि प्रकरण में जिला विद्यालय निरीक्षक से सारी जांच आख्या और उसके संलग्न मांगे गए हैं। जिला विद्यालय निरीक्षक ने अक्टूबर में थाना अध्यक्ष को पंजीकृत डाक द्वारा अवगत कराया कि कार्यालय में आकर किसी भी दिन पत्रावली का अवलोकन कर मनचाहे पत्र ले लें। थाना अध्यक्ष जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय गए तो उन्हें पता चला की जांच रिपोर्ट में तो चार गबन के आरोप हैं। शिव कुमार मिश्रा ने तो सिर्फ एक ही आरोप की तहरीर दी थी। उसके बाद तो थाना अध्यक्ष के हाथ पांव फूल गए अब वह यह नहीं बता रह पा रहे हैं कि उन्होंने जिला विद्यालय निरीक्षक के कार्यालय से जो पत्रावली प्राप्त की थी उसके बाद आगे क्या कार्यवाही की।
थाना अध्यक्ष ने रिपोर्टर के विरुद्ध ही आरोप लगा दिए
जब थाना अध्यक्ष पूरी तरह मामले में फंस गए और उन्हें कोई रास्ता नहीं दिखा तो वह क्राइम रिपोर्टर के विरुद्ध ही आरोप लगाने लगे अब कहते हैं कि क्राइम रिपोर्टर किसी को लाभ पहुंचाने के लिए अपने निजी स्वार्थ और निजी हित को सिद्ध करने के लिए बार-बार फर्जी शिकायत देता और मुकदमा पंजीकृत करने के लिए अनर्गल दबाव बनाता है। महोदय जब आपकी जांच में रिपोर्टर के विरुद्ध आरोप सिद्ध हो गया तो बचा क्या है रिपोर्टर के विरुद्ध मुकदमा पंजीकृत कर दीजिए कि वह निजी लाभ प्राप्त करना चाहता है और फर्जी शिकायत देकर पुलिस को परेशान करता है।
जिला विद्यालय निरीक्षक द्वारा थाना अध्यक्ष को दी गई रिपोर्ट मीडिया के हत्थे लगी
थाना अध्यक्ष की मांग पर जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय द्वारा जो जांच रिपोर्ट थाना अध्यक्ष को प्राप्त कराई गई उसमें मेवालाल के विरुद्ध शासकीय धन के एक नहीं चार-चार आरोप सिद्ध हुए हैं।
- मेवालाल प्रवक्ता, एस०एन० इण्टर कालेज, इन्दईपुर जो वर्ष 2012 में विद्यालय के कार्यवाहक प्रधानाचार्य का प्रभार प्राप्त किये थे। प्रभार प्राप्ति के बाद विद्यालय के नाम पर कृषि योग्य भूमि से प्रतिवर्ष प्राप्त होने वाली धनराशि को विद्यालय के अनुरक्षण खाते में जमा न कर खुद गबन कर लिये जाने के सम्बन्ध में जॉच समिति द्वारा स्पष्ट किया गया है कि प्राधिकृत नियंत्रक / प्रधानाचार्य, एस०एन० इण्टर कालेज, इन्दईपुर अम्बेडकरनगर द्वारा प्रस्तुत संदर्भगत खाते की प्रस्तुत पासबुक की छायाप्रति की अवलोकनोंपरान्त कतिपय धनराशियां विभिन्न तिथियों में आहरित एवं जमा प्रदर्शित हो रही हैं, जिनसे सम्बंधित कोई साक्ष्य संस्था की ओर से प्रस्तुत नहीं किया गया। अभिलेख के अभाव में उक्त धनराशियों के जमा एवं निकासी होने की सत्यता की जाँच नहीं हो सकी। अभिलेख हस्तगत न कराये जाने के प्रति श्री मेवालाल प्रवक्ता स्पष्ट रूप से दोषी हैं।
- श्री मेवालाल प्रवक्ता, एस०एन० इण्टर कालेज, इन्दईपुर, ने वर्ष 2020 में जब पूरे देश में तालाबंदी लागू हुई तो विद्यालय के क्रीड़ा अध्यापक सुरेश कुमार यादव से मिलीभगत कर दिनाक 02 नवम्बर, 2020 को खेल सामाग्री का मांग पत्र बनवाये जाने एवं उसी के आधार पर एजुकेशनल साइंटिफिक स्टोर प्रतापगढ़ से दिनांक 26 दिसम्बर, 2020 को रू0 82147 का बिल प्राप्त कर भुगतान कर दिये जाने के सम्बन्ध में जॉच समिति द्वारा स्पष्ट किया गया है कि उपरोक्त शिकायती पत्र एवं संस्था प्रधानाचार्य द्वारा प्रस्तुत अभिलेखों तथा मेवालाल द्वारा प्रस्तुत कथन के परीक्षण से स्पष्ट है कि उपरोक्त सामाग्री क्रय करने से पूर्व एवं पश्चात्, सामाग्री क्रय/आपूर्ति/भुगतान हेतु निर्धारित विभागीय नियमों का अनुपालन न करके सीधे सामाग्री क्रय की गयी है, जो वित्तीय अनियमितता की श्रेणी में प्रदर्शित होता है, उक्त कृत्य के प्रति मेवालाल स्पष्ट रूप से दोषी हैं।
- श्री मेवालाल प्रवक्ता, एस०एन० इण्टर कालेज, इन्दईपुर जो वर्ष 2012 में विद्यालय में कार्यवाहक प्रधानाचार्य के पद कार्यरत थे. उनके द्वारा शिक्षक अभिभावक संघ के खाते से 1 अक्टूबर 2012 को रू0 1,86,000.00 का चेक श्री अब्दुल समद नामक व्यक्ति के नाम से जारी करके पूरी धनराशि गबन कर लिये जाने के सम्बन्ध में जाँच समिति द्वारा स्पष्ट किया गया है कि उपरोक्त शिकायती पत्र एवं संस्था प्रधानाचार्य द्वारा प्रस्तुत अभिलेखों तथा मेवालाल द्वारा प्रस्तुत कथन के परीक्षण से स्पष्ट है कि उपरोक्त सामाग्री क्रय करने से पूर्व एवं पश्चात्, सामाची क्रय/आपूर्ति / भुगतान हेतु निर्धारित विभागीय नियमों का अनुपालन न करके सीधे सामाग्री क्रय की गयी है, जो वित्तीय अनियमितता की श्रेणी में प्रदर्शित होता है, उक्त कृत्य के प्रति मेवालाल स्पष्ट रूप से दोषी है।
- श्री मेवालाल प्रवक्ता, एस०एन० इण्टर कालेज, इन्दईंपुर द्वारा कोरोना महामारी के कारण वर्ष 2021 में परीषदीय परीक्षा नहीं होने एवं शिक्षा सत्र 2020-21 में पूर्ण तालाबन्दी के कारण छात्र-छात्राओं की पढ़ायी नहीं कराये जाने परिषदीय परीक्षा की कोई समय सारिणी नहीं जारी की गयी थी, उस हालत में श्री मेवालाल तत्कालीन कार्यवाहक प्रधानाचार्य द्वारा विद्यालय में परिषदीय परीक्षा हेतु सीसीटीवी कैमरा क्रय व उसके अधिष्ठापन के नाम पर रू0 71510.00, 87450.00, 14900.00 का विद्यालय के श्रव्य दृश्य निधि बैंक खाते से फर्जी भुगतान कर धनराशि गबन कर लिये जाने के सम्बन्ध में जाँच समिति द्वारा स्पष्ट किया गया है कि उपरोक्त शिकायती पत्र एवं संस्था प्रधानाचार्य द्वारा प्रस्तुत अभिलेखों तथा श्री मेवालाल द्वारा प्रस्तुत कथन के परीक्षण से स्पष्ट है कि उपरोक्त सामाग्री क्रय करने से पूर्व एवं पश्चात्, सामाग्री क्रय/आपूर्ति / भुगतान हेतु निर्धारित विभागीय नियमों का अनुपालन न करके सीधे सामाग्री क्रय की गयी है. जो वित्तीय अनियमितता की श्रेणी में प्रदर्शित होता है. उक्त कृत्य के प्रति श्री मेवालाल स्पष्ट रूप से दोषी है।
जांच समिति द्वारा दी गई रिपोर्ट पर जिला विद्यालय निरीक्षक ने मेवालाल के विरुद्ध प्रशासनिक कार्रवाई का दिया आदेश
प्रकरण में जॉच समिति द्वारा उपलब्ध करायी गयी उपरोक्त आख्या में श्री मेवालाल प्रवक्त अंग्रेजी / तत्कालीन तदर्थ प्रधानाचार्य के स्तर से संस्था के निधियों से धनराशि निकासी में एवं उनके व्यय व सामाग्री क्रय व भुगतान किये जाने के प्रति वित्तीय अनियमितता पुष्टित होने के क्रम में, श्री मेवालाल प्रवक्ता अंग्रेजी/तत्कालीन प्रधानाचार्य के विरूद्ध नियमानुसार प्रशासनिक कार्यवाही करते हुये कृत कार्यवाही से अधोहस्ताक्षरी को एक सप्ताह के अन्दर अवगत कराना सुनिश्चित करें।
शासकीय धन के गबन के आरोपी मेवालाल को बचाने के चक्कर में थाना अध्यक्ष ने अपनी नौकरी लगाई दांव पर
इतने सारे सबूत सामने आने के बाद तो लग रहा है कि थाना अध्यक्ष महोदय खुद फंस जाएंगे यदि प्रकरण माननीय न्यायालय के सामने चला गया तो वहां थाना अध्यक्ष जवाब नहीं दे पाएंगे जो पद पर रहते हुए दूसरे संरक्षण दे रहे है हो सकता है न्यायालय के संज्ञान में आने के बाद उन्हें स्वयं कोई संरक्षण न दे। मीडिया की प्रकरण पर पूरी तरह से नजर है देखते हैं आगे क्या होता है………..





