बचपन की सीख से मिलेगी भावनात्मक मजबूती

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अवधी खबर संवाददाता

अम्बेडकरनगर। बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए उसके जन्म से पांच साल
बेहद महत्त्वपूर्ण होते हैं। भविष्य में बच्चा किस तरह से
आगे बढ़ेगा, जीवन के प्रति उसका नजरिया क्या होगा, इसमें सामाजिक और भावनात्मक विकास अहम है, जो इस उम्र में आकार लेता है। कम उम्र में सिखाएं मेलजोल बढ़ाना :- छोटी उम्र से ही बच्चे का सोशलाइजेशन जरूरी है। आजकल ज्यादातर एकल परिवार देखे जा सकते हैं, ऐसे में बच्चे को सामाजिक बनाने के लिए प्ले स्कूल या सोसाइटी की एक्टिविटी से जोड़ें। इससे बच्चे का दूसरे बच्चों में मेलजोल बढ़ता है।

साथ ही बच्चा अन्य बच्चों के इमोशन को भी समझ पाएगा। बच्चों को सिखाएं, क्या उचित, क्या अनुचित :- बच्चे को दूसरे बच्चे की भावनाओं के बारे में अवेयर करें कि उसे क्या चीज अच्छी लगती है और क्या नहीं। इस व्यवहार को देखते हुए ही बच्चा उसके साथ कैसा व्यवहार करें, यह भी सिखाएं। सही-गलत व्यवहार के बारे में सिखाएं। छोटी उम्र में ही बच्चे सीख जाएंगे तो इसका प्रभाव पूरे जीवन पर सकारात्मक होगा।
पैरेंट्स को भी समझना होगा बच्चों का व्यवहार :- यदि बच्चे के इमोशन को समझते हुए पैरेंट्स उचित व्यवहार करते हैं तो बच्चे भावनात्मक रूप से ज्यादा मजबूत बनते हैं। भावनात्मक रूप से हर बच्चा अलग होता है। कुछ बहुत संवेदनशील होते हैं। ऐसे में पैरेंट्स को बच्चे की तुलना किसी अन्य से नहीं करनी चाहिए, बल्कि उसकी इमोशन को समझते हुए ही उसमें भावनात्मक विकास करें।


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