ग्राम सभा अजमलपुर में विकास कार्यों में भ्रष्टाचार का खुलासा, जांच में सामने आईं अनियमितताए

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अवधी खबर संवाददाता
जलालपुर, अंबेडकर नगर।
जलालपुर तहसील के भियांव ब्लॉक अंतर्गत ग्राम सभा अजमलपुर में ग्रामीणों द्वारा दर्ज की गई आइजीआरएस (इंटीग्रेटेड ग्रीवांस रिड्रेसल सिस्टम) शिकायतों की जांच के लिए पहुंचे जांच अधिकारियों ने विकास कार्यों में व्यापक अनियमितताओं और संभावित भ्रष्टाचार के संकेत पाए हैं। जांच टीम में शामिल सुनील कुमार श्रीवास्तव (एडियो पंचायत) और शैलेश पाल (कंसल्टेड इंजीनियर) ने मौके पर भौतिक सत्यापन करने की कोशिश की, लेकिन कार्यों से संबंधित फाइलें उपलब्ध न होने के कारण जांच प्रक्रिया को स्थगित करना पड़ा। अधिकारियों ने वर्तमान ग्राम पंचायत अधिकारी सुजीत कुमार मौर्य को तीन दिन के भीतर फाइलें उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं, ताकि शिकायतों का भौतिक सत्यापन पूरा किया जा सके।


जांच में क्या सामने आया?


पंचायत सहायक ने जांच के दौरान अपना लिखित बयान दर्ज करवाया, जिसमें कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। उनके अनुसार, पंचायत भवन में 3 स्टील की कुर्सियां, 15 प्लास्टिक की कुर्सियां, 1 दरी और 3 सीसीटीवी कैमरे मौजूद हैं, लेकिन ये कैमरे निष्क्रिय हैं। इसके अलावा, सोलर पैनल की कोई व्यवस्था नहीं है, शौचालय अक्रियाशील है, और इनवर्टर, बैटरी, प्रिंटर व कंप्यूटर भी निष्क्रिय अवस्था में पड़े हैं। जांच आगे बढ़ाने की कोशिश की गई, लेकिन फाइलों के अभाव में यह प्रक्रिया रुक गई।

भुगतान और उपलब्धता में बड़ा अंतर

विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, ग्राम सभा में हुए विकास कार्यों के भुगतान और वास्तविक उपलब्धता में भारी विसंगति है।
पंचायत भवन: 20 प्लास्टिक कुर्सियों का भुगतान किया गया, लेकिन मौके पर सिर्फ 15 कुर्सियां मिलीं, 5 गायब हैं। 2 दरी का भुगतान हुआ, जिसमें से 1 गायब है। 6 सीसीटीवी कैमरों का पूरा भुगतान किया गया, लेकिन सिर्फ 3 लगे हैं, जो निष्क्रिय हैं। शौचालय का भुगतान पूरा हो चुका है, लेकिन न दरवाजा लगा है और न ही खिड़की।

कंपोजिट विद्यालय अजमलपुर: 90 बेंचों का भुगतान किया गया, लेकिन ग्राम पंचायत अधिकारी अंगद यादव द्वारा सिर्फ 60 बेंच ही भेजे गए। 30 बेंचों का हिसाब गायब है।

आंगनबाड़ी केंद्र: शौचालय का निर्माण अधूरा है, फिर भी उसका पूरा भुगतान हो चुका है।

खडंजा मरम्मत कार्य: शंकर नाई के ट्यूवेल से प्राइमरी विद्यालय तक खडंजा मरम्मत का भुगतान बिना मेजरमेंट बुक (एमबी) के ही कर दिया गया, जो नियमों का खुला उल्लंघन है।

ग्राम पंचायत अधिकारी पर सवाल

जांच अधिकारियों ने बताया कि फाइलों के अभाव में शिकायतों का भौतिक सत्यापन नहीं हो सका। सुनील श्रीवास्तव ने कहा, “फाइलें उपलब्ध होने के बाद ही बाकी शिकायतों की जांच संभव होगी।” ग्रामीणों और सूत्रों का दावा है कि ग्राम पंचायत अधिकारी अंगद यादव के कार्यकाल में हुए विकास कार्यों की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। उनका कहना है कि अगर गहन जांच की जाए, तो अजमलपुर ग्राम सभा में बड़ा भ्रष्टाचार सामने आ सकता है।

ग्रामीणों में आक्रोश

ग्रामवासियों का कहना है कि उनके द्वारा बार-बार शिकायत करने के बावजूद समस्याओं का समाधान नहीं हुआ। पंचायत भवन की बदहाल स्थिति, अधूरे शौचालय, और निष्क्रिय सुविधाओं ने उनके रोजमर्रा के जीवन को प्रभावित किया है। एक ग्रामीण ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “हमारी शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा। पैसा पास हो रहा है, लेकिन काम जमीन पर नहीं दिखता।


आगे क्या?


जांच अधिकारियों
ने ग्राम पंचायत अधिकारी को 3 दिन का अल्टीमेटम दिया है। फाइलें उपलब्ध होने के बाद जांच प्रक्रिया फिर से शुरू होगी और शिकायतों का भौतिक सत्यापन किया जाएगा। अगर अनियमितताएं साबित होती हैं, तो यह मामला उच्च अधिकारियों तक पहुंच सकता है। ग्रामीण अब इस उम्मीद में हैं कि जांच के नतीजे सामने आएंगे और दोषियों पर कार्रवाई होगी।
यह घटना ग्रामीण विकास योजनाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही की जरूरत को फिर से रेखांकित करती है। अजमलपुर के इस मामले ने एक बार फिर सवाल उठाया है कि विकास के नाम पर हो रहे भ्रष्टाचार को कब तक नजरअंदाज किया जाएगा?


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