
अवधी खबर संवाददाता
लखनऊ। आप भले ही स्कूल- कॉलेज में हों या ऑफिस में जॉब करते हों। आपके सहपाठी या सहकर्मियों के कार्यों का असर आपके प्रदर्शन पर भी पड़ता है। ऐसे में आपको समूह के साथ बने रहने के लिए वे काम करने होते हैं, जो आपको नापसंद हों।
 इसे पीयर प्रेशर कहा जाता है। यह दबाव सकारात्मक या नकारात्मक हो सकता है। यदि यह दबाव नकारात्मक है तो यह आपको आगे बढ़ने से रोक सकता है। जब साथियों का दबाव सकारात्मक होता है तो यह आपको अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए प्रेरित करता है। नकारात्मक दबाव आपको आगे बढ़ने से रोक सकता हैं। जब आप नकारात्मक साथियों के दबाव में आ जाते हैं तो आप बाद में अक्सर इस तरह से कार्य करने के लिए खुद को दोषी समझने लगते हैं। यह आपके विश्वासों या मूल्यों के खिलाफ होता है। स्वयं की सुनें- आप कैसा महसूस करते हैं, इस पर ध्यान
दें। यदि आपके दोस्तों को कोई स्थिति ठीक लग रही है और आप उसमें सहज नहीं है तो खुद की सुनें और फिर फैसला लें। जैसे वाहन चलाते समय खतरनाक जोखिम उठाना। आगे की योजना बनाएं- आप सोचें कि विपरीत स्थितियों में आप कैसा आचरण करेंगें। दबाव डालने वाले व्यक्ति से बात करें। उसे बताएं कि आप उस कार्य में सहज नहीं हैं। साथ ही आप यह भी बताएं कि आप उस काम को किस तरीके से पूरा करना चाहते हैं।
बहाना बनाएं- माफी मांगने या स्पष्टीकरण देने की जरूरत के बिना ‘नहीं’ कहना सीखें। यदि आपके पास कोई बहाना तैयार है तो आपके लिए ‘नहीं’ कहना आसान हो सकता है। विश्वासपात्र मित्र रखें- समान मूल्यों वाले विश्वासपात्र मित्र रखें। यदि वह आपके साथ ‘नहीं’ कहने के लिए तैयार है तो आपकी बात का वजन बढ़ जाएगा और पीयर प्रेशर भी काफी हद तक कम हो जाएगा।





