अवधी खबर संवाददाता
अंबेडकर नगर।
बसखारी विकासखंड के ग्राम सोनहन में बना पंचायत भवन आज सरकारी कार्यप्रणाली की असली तस्वीर सामने ला रहा है। भवन को बने कुछ ही वर्ष हुए हैं, लेकिन इसकी दीवारें पहले ही जर्जर हो चुकी हैं। हाल यह है कि प्लास्टर हाथ लगाने मात्र से झड़ने लगता है और ईंटें बाहर झांकने लगी हैं।

गुणवत्ता पर उठे सवाल
यह स्थिति न केवल निर्माण कार्य की निम्न गुणवत्ता को उजागर करती है, बल्कि ग्रामीण विकास योजनाओं में पारदर्शिता की कमी पर भी गंभीर प्रश्न खड़े करती है। ग्रामीणों का कहना है कि जब शुरुआत से ही काम मानक के अनुरूप नहीं होता, तो सरकारी धन व्यर्थ चला जाता है और जनता का विश्वास भी टूटता है।
निगरानी केवल कागजों पर
सरकार हर साल पंचायत भवनों, स्कूलों, शौचालयों और सड़कों के लिए करोड़ों रुपये खर्च करती है। जांच और निरीक्षण की व्यवस्था भी है, लेकिन यह अक्सर कागजों तक सीमित रह जाती है। यदि जिम्मेदार अधिकारी ईमानदारी से काम करें तो खामियां शुरुआती दौर में ही पकड़ में आ सकती हैं।
बड़े नेताओं की बात, जमीन पर हकीकत
प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री लगातार भ्रष्टाचार पर अंकुश और गांवों के विकास की बातें करते हैं। लेकिन सोनहन पंचायत भवन की हालत बताती है कि जमीनी स्तर पर स्थिति कितनी अलग है। कुछ ही सालों में भवन का टूटना यह साबित करता है कि निर्माण में भारी लापरवाही और भ्रष्टाचार हुआ है।
जांच और कार्रवाई की मांग
ग्रामीणों ने मांग की है कि मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) तत्काल मामले की जांच कराएँ और दोषी अधिकारियों, इंजीनियरों व ठेकेदारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। साथ ही, हर सरकारी भवन व निर्माण की गुणवत्ता ऑडिट रिपोर्ट सार्वजनिक की जानी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।
जनता का कहना है कि जनता का पैसा जनता के हित में लगे — यही लोकतंत्र की सच्ची भावना है। यदि हर निर्माण जिम्मेदारी और ईमानदारी से हो तो विकास के सपने दीवारों के साथ ढहेंगे नहीं, बल्कि साकार होंगे।




