अजय राना का पूर्व में भी भ्रष्टाचार का मामला आया था सामने इसके बावजूद भी मेहरबान बने हैं जिम्मेदार

अवधी खबर संवाददाता
अंबेडकरनगर। प्रधानमंत्री किसान सम्मन निधि फॉर्म फॉरवर्ड करने के नाम पर जमकर वसूली की जा रही है पैसा न देने पर उनका फॉर्म रिजेक्ट कर दिया जा रहा है। केवल उन्हीं फार्मो को आगे फॉरवर्ड किया जा रहा है। जिसमें पैसा मिल जा रहा है। ताजा मामला भीटी तहसील से जुड़ा हुआ है जहां एसडीएम कार्यालय के बगल का है। अजय राना की वर्तमान तैनाती शिक्षा विभाग के अनुदेशक के पद पर है लेकिन तहसील में किसान सम्मन निधि से संबंधित कंप्यूटर ऑपरेटर का काम करने वाला अजय राना किसानों से जमकर धनउगाही कर रहा है। जिन किसानों के द्वारा किसान सम्मन निधि का नया फॉर्म अप्लाई किया जाता है उसके बाद ऑफलाइन कागज ले जाकर तहसील में इसी के पास जमा करना होता है।
कागज जमा करते समय जिन किसानों के द्वारा पैसा दिया जाता है, तो उन्हीं का फॉर्म आगे फॉरवर्ड किया जाता है नहीं तो नो लैंड सीडिंग दिखाकर फॉर्म को रिजेक्ट कर दिया जाता है। यह कोई एक ऐसा मामला नहीं है सैकड़ो किसानों के साथ इसके द्वारा ऐसा कार्य किया जा चुका है किसान बाद में थक हार कर पैसा देने को मजबूर हो जाता है। जबकि सारी व्यवस्था ऑनलाइन प्रक्रिया के तौर पर हो चुकी है किसान अपना फार्म भरवाते समय खतौनी की स्कैन कॉपी को उसमें अपलोड करता है उसके बाद ही आगे का फॉर्म कंप्लीट हो पाता है। प्रधानमंत्री के इस डिजिटल इंडिया के जमाने में सारे कागजात ऑनलाइन अपलोड होने के बावजूद भी तहसील कर्मचारी अजय राना के द्वारा ऑफलाइन कागज लिया जाता है और जिन किसानों के द्वारा पैसा नहीं दिया जाता है उनका फॉर्म रिजेक्ट कर दिया जाता है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अजय राना के द्वारा तहसील में कंप्यूटर ऑपरेटर के पद पर तैनाती के बाद से अकूल धन अर्जित कर लिया गया है। अगर इसके आय से अधिक संपत्ति की जांच हुई तो जरूर इसकी गर्दन फंस सकती है लेकिन जिले की जिम्मेदार अधिकारी कितना ठोस कदम उठाएंगे यह अभी भविष्य के गर्भ में है। फिलहाल इसके पहले भी अजय राना अपने कारनामे से चर्चा में रहे हैं। तभी से जिम्मेदार उनके ऊपर मेहरबान बने बैठे हैं। वही जब इस विषय में उप कृषि निदेशक अश्विनी सिंह से बात करने का प्रयास किया गया तो वार्ता नहीं हो पाई।
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