क्या जिलाधिकारी के आदेशों का हो पाएगा पालन या फिर धूल फांकता ही रह जाएगा?
अम्बेडकरनगर!
जिले में बिना पंजीकरण के संचालित अवैध अस्पतालों का मकड़जाल है। बिना चिकित्सक और अप्रशिक्षित स्टाफ के इनका संचालन हो रहा है। आए दिन जच्चा-बच्चा के जान गंवाने के मामले भी सामने आ रहे हैं। विभाग की ओर से इन पर कार्रवाई तो दूर, जिले के जिम्मेदारों को पंजीकृत अस्पतालों की संख्या तो पता है लेकिन मीडिया कर्मियों से बताते हुए कतराते हैं जिसकी एक बार वार्ता की वीडियो भी वायरल होती है जिसमें मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा यह कहा गया कि इसको हम सार्वजनिक नहीं कर सकते आखिर क्यों कहीं ना कहीं इसमें जिम्मेदार अधिकारी का निधि स्वास्थ्य छिपा होना प्रतीत होता है।
जिले में बिना नक्शा, फायर एनओजी, पंजीकरण और अप्रशिक्षित स्टाफ के साथ सैकड़ों की संख्या में अस्पतालों का संचालन हो रहा है। यह प्राइवेट क्लीनिक व अस्पताल नियमों की अनदेखी कर गलियों तक में संचालित हो रहे हैं। सबसे ज्यादा खराब हाल जनपद मुख्यालय क्षेत्र का है। यहां करीब छोटे-बड़े 500 अस्पताल संचालित हो रहे हैं। कागज कितनों के पास हैं, विभाग इस पर मौन है।30 अप्रैल से जिले में संचालित निजी अस्पतालों का पंजीकरण समाप्त हो चुका है। एक मई से नवीनीकरण की प्रक्रिया चल रही है। कुछ अस्पतालों ने इसकी प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। कई बिना नवीनीकरण के ही संचालित हो रहे हैं।
विभाग के मुखिया को अभी इसका पता नहीं है कि मई में अब तक कितने अस्पतालों के पंजीकरण का नवीनीकरण किया गया है। क्या जिलाधिकारी का आदेश रंग लाएगा या आदेश धूल फांकता ही नजर आएगा। यह एक्सप्रेस इसलिए उत्पन्न हो रहा है क्योंकि जब भी जिले में नए अधिकारी का आगमन होता है तो ऐसे फरमान जारी होते हैं और सिस्टम में आने के बाद धराशाई हो जाते हैं।




