न्याय की राह में दो अबोध बच्चों को लेकर ठोकरें खा रही महिला, न्याय न मिलने पर एसपी से गुहार

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जमीन गई, रकम गई, पर अब भी नहीं दर्ज हुई एफआईआर

अवधी खबर संवाददाता

अम्बेडकरनगर।
एक महिला की टूटती उम्मीदें, दो मासूम बच्चों की भूखी निगाहें, और उस समाज की चुप्पी.. जहां अन्याय अब एक आदत बन चुकी है। तहसील अकबरपुर के ऊचेगांव, गौसपुर की रहने वाली राजकुमारी का दर्द आज पूरे जनपद की आत्मा को झकझोर रहा है।
राजकुमारी का आरोप है कि दबंगों ने उसके पति की कमजोरी का फायदा उठाकर न सिर्फ उसकी बेशकीमती जमीन हड़प ली, बल्कि 28 लाख रुपये की ठगी भी कर डाली। और यह सब हुआ कानून की आंखों के सामने।

जब भरोसा टूटा, और सहारे छूटते गए…

राजकुमारी की आंखों में आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे। उसकी आवाज़ कांपती है जब वह बताती है।
“मेरे पति नशे के आदी हैं, अशिक्षित हैं… उन्हें क्या पता था कि ये लोग क्या करवाने जा रहे हैं। मेरी 45 लाख की जमीन सिर्फ 30 लाख में लिखवा दी, और बाकी 28 लाख भी खाते से निकाल लिए। मेरे पास सबूत हैं, लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई।

24 जनवरी 2024 को जमीन का बैनामा करवाया गया। और 29 जनवरी 2024 को एक ब्लैंक चेक के जरिए रकम खाते से उड़ाई गई। यह सब एक पूर्व नियोजित साजिश का हिस्सा था, जिसे कुछ प्रभावशाली लोगों ने अंजाम दिया।

पुलिस ने नहीं दर्ज की रिपोर्ट, मजबूरी में एसपी से लगाई गुहार

पीड़िता जब थाने गई तो दरवाजे खुले थे, पर न्याय के लिए दिल बंद मिला। अकबरपुर कोतवाली ने अब तक इस मामले में कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की। राजकुमारी कई बार अधिकारियों के सामने गिड़गिड़ाई, लेकिन हर बार उसे निराशा ही हाथ लगी।
आख़िरकार, थक हारकर उसने पुलिस अधीक्षक से मुलाकात की। एसपी ने जांच का आश्वासन तो दिया, लेकिन क्या यह भरोसा भी कहीं पिछली उम्मीदों की तरह टूट तो नहीं जाएगा?

दो बच्चों के साथ संघर्ष, आंखों में अब भी उम्मीद

राजकुमारी अकेली नहीं है। उसके साथ हैं दो मासूम बच्चे जो शायद ये नहीं जानते कि उनका भविष्य किसी और के लालच की भेंट चढ़ गया है। रोटी के एक-एक टुकड़े के लिए संघर्ष करती यह महिला अब सिर्फ अपने हक़ की लड़ाई नहीं लड़ रही बल्कि वह लड़ रही है पूरे सिस्टम के मौन के ख़िलाफ़।

प्रशासन की चुप्पी, सिस्टम की संवेदनहीनता

इस पूरे मामले ने एक बार फिर बता दिया कि जब तक आप शक्तिशाली नहीं, तब तक आपका दर्द सिर्फ फाइलों में दर्ज होता है किसी कार्रवाई में नहीं।
क्या यही है सबका साथ, सबका विकास की हकीकत?
क्या गरीबों और अशिक्षितों को न्याय सिर्फ चुनावी वादों में ही मिलता रहेगा? अब सवाल आपके सामने है क्या राजकुमारी को न्याय मिलेगा? या उसकी आवाज़ भी उस भीड़ में गुम हो जाएगी, जहाँ सुनने वाला कोई नहीं?


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