
थाने में अधिवक्ता को ही कानून पढ़ाने लगे थानाध्यक्ष महरुआ दिनेश सिंह
अंबेडकरनगर। महरुआ थाना क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम पंचायत दारीडीहा के मजरे बरई का पूरा के अंतर्गत अधिवक्ता रणधीर सिंह पुत्र अनिल सिंह का दो अदद नीम का पेड़ उनके गांव के ही निवासी विवेक सिंह उर्फ पवन पुत्र नरसिंह नारायण एवं धनंजय सिंह पुत्र स्वर्गीय शत्रुघ्न ने मिलकर कल रात को अज्ञात ठेकेदार को लेकर बिना परमिट के ही अपने दबंगई के बल पर काट डाला। एक तरफ सरकार जुलाई माह में वन महोत्सव मनाती है और करोड़ों रुपए खर्च करके बन विभाग पेड़ लगवाता है और पर्यावरण संरक्षण का प्रचार-प्रसार करता है और जागरूकता अभियान चलाता है किंतु बेखौफ दबंग जन व ठेकेदार पेड़ों पर आरा चलाकर रहे हैं तथा वन संरक्षण को पलीता लगा रहे हैं। घटनाक्रम के अनुसार पीड़ित अधिवक्ता रणधीर सिंह की भूमिधरी बाग में कई पेड़ मौजूद हैं। जिसमें बिना परमिशन नीम पेड़ काटने वाले दबंग उपरोक्त भी सह खातेदार हैं।

जिनके बीच पेड़ों को लेकर आपसी सहमति के आधार पर बहमी बटवारा हुआ है। बंटवारे के आधार पर प्रत्येक पक्ष अपने-अपने पेड़ों पर काबिज व दाखिल है। पीड़ित अधिवक्ता रणधीर सिंह ने बताया कि वह आज सुबह अपने बाग उपरोक्त में गये तो चोरी से विपक्षीगण उपरोक्त एक अज्ञात ठेकेदार को लेकर बिना परमिट ही दो अदद नीम का पेड़ काटकर धराशाई कर दिये हैं। जिसमें एक पेड़ अधिवक्ता के हिस्से का है। जिस पर वह काबिज व दाखिल है। अधिवक्ता ने डायल 100 की पुलिस एवं वन विभाग को फोन कर घटना की जानकारी दिया। जिस पर पुलिस व वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची। पीड़ित ने थानाध्यक्ष महरुआ दिनेश सिंह को प्रार्थना पत्र देकर चोरी व बन संरक्षण अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज करने की मांग किया किंतु महरुआ थानाध्यक्ष दिनेश सिंह ने अपनी बला टालते हुए यह कहकर एफआईआर दर्ज करने से मना कर दिया कि जब तक राजस्व विभाग बाग की पैमाइश करके पेड़ का स्वामित्व नहीं बतलायेगा तब तक चोरी का मुकदमा नहीं दर्ज किया जायेगा। अब सवाल उठता है कि पुलिस कानून से ऊपर उठकर कैसे बात करती है और कहीं न कहीं मुकदमा नहीं दर्ज करना चाहती। नियमों के मुताबिक यदि पीड़ित लिखित प्रार्थना पत्र देकर यह कह रहा है कि पेड़ पर स्वामित्व मेरा है और बहमी बंटवारे के तहत पेड़ मेरे हिस्से में है और जिस भूमि पर पेड़ खड़ा था वह भूमि भूमिधरी बाग है और खतौनी भूमि है। जिसका पीड़ित स्वामी है। साथ-साथ यह बताना है कि थानाध्यक्ष जो कानून गढ़कर अधिवक्ता को झांसा दे रहे हैं। वह यह है कि बिना हदबंदी के लेखपाल भूमिधारी बाग की न तो पैमाइश कर सकते हैं न ही न्यायालय के अलावा पुलिस को रिपोर्टिंग कर सकते हैं।
जब पुलिस अधिवक्ताओं को ही कानून पढ़ाने लगेगी तो आम जनता का क्या हाल करेगी। यह आप समझ सकते हैं। कहीं न कहीं महरुआ पुलिस अधिवक्ता के साथ ज्यादती कर रही है और अधिवक्ता की एफआईआर नहीं दर्ज करना चाहती है। इस संबंध में जब सच आप तक चैनल ने बन दरोगा/फॉरेस्टर अकबरपुर से वार्ता किया तो उन्होंने कहा कि वन संरक्षण अधिनियम 4/10 के तहत बयान दर्ज करके कार्यवाही की जा रही है। काटे गए पेड़ उपरोक्त की लकड़ी सील करके जुर्माने की कार्यवाही की जा रही है।




