साक्ष्य उपलब्ध कराने के बाद भी दबाव बनाने के लिए दर्ज मुकदमें से पत्रकारों में आक्रोश
अवधी खबर संवाददाता
अंबेडकरनगर।भ्रष्ट अधिकारियों की कमियां उजागर होने पर अपने आप को निर्दोष साबित होने के लिए किसी भी हद तक उतर सकते हैं घटना से संबंधित सभी साक्ष्य उपलब्ध कराने के बाद भी दबाव बनाने के लिए मुकदमा दर्ज करा दिया गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सख्त आदेश के बावजूद भी जनपद में पुलिस प्रशासन बिना जांच पड़ताल के ही एफआईआर दर्ज करने में महारत हासिल की है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का फरमान उनके लिए बौना साबित हो रहा है। संबंधित मामला जलालपुर कोतवाली से संबंधित है जिसमें जलालपुर कोतवाल के द्वारा दो पत्रकारों के खिलाफ बिना जांच पड़ताल किए ही मुकदमा दर्ज कर दिया जबकि घटना से संबंधित सभी वीडियो कोतवाल को उपलब्ध कराया गया था।
इसके बावजूद भी कोतवाल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के फरमान को ताक पर रखते हुए मुकदमा दर्ज कर दिया है। जबकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का सीधा फरमान है कि पत्रकार के ऊपर बिना जांच पड़ताल किए एफआईआर न दर्ज किया जाए।
मिली जानकारी के अनुसार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नगपुर जलालपुर में 18 अप्रैल को एक एक्सीडेंट में चार घायलो को इलाज के लिए सरकारी एंबुलेंस से ले जाया गया था। जिसमें दो घायलों की मौत हो गई थी तथा दो घायलों का प्राथमिक उपचार करने के बाद इलाज के लिए जिला चिकित्सालय भेज दिया गया था। इस सड़क हादसे को सुनकर आसपास समेत घायलों के जानने पहचानने वालो का अस्पताल परिसर में तांता लगा हुआ था।
दो घायल लोगों की मौत होने के बाद मृतकों के रिश्तेदार ड्यूटी पर उपस्थित डॉक्टर पर इलाज समय से न करने की बात कहते हुए उनकी मौत का जिम्मेदार ठहराते हुए रो रहा था।इसी बीच एक हिंदी दैनिक समाचार पत्र के पत्रकार प्रेम सागर विश्वकर्मा व संजीव यादव को सड़क दुर्घटना की जानकारी होने पर अस्पताल पहुंचे तो युवक के द्वारा लगाए जा रहे आरोप के संबंध में वहा उपस्थित चिकित्सक से वार्ता कर जानकारी हासिल करने का प्रयास किया तो उपस्थित चिकित्सा दूसरे कमरे में बैठकर कुर्सी के ऊपर पैर रखकर आराम फरमा रहे थे सवाल-जवाब करने पर अपने आप को फसते देख कुर्सी से उठकर इमरजेंसी ड्यूटी के कमरे में चले गए और वहां पहुंचकर पत्रकारों का वीडियो बनाना शुरू कर दिए।
तथा उन पर फर्जी तरीके से आरोप लगाने लगे ताकि पत्रकार डर जाए और उनकी कमी को उजागर न करें।
इसके बाद पत्रकार के द्वारा खबर को प्रकाशित कर दिया गया कई सोशल मीडिया के प्लेटफार्म पर वीडियो भी वायरल हुई। इसके बाद चिकित्सक डॉ. मोहम्मद दानिश ने अगले दिन अधीक्षक के साथ जलालपुर कोतवाली पहुंचकर दबाव बनाने के लिए एक झूठा व मनगढ़ंत शिकायती पत्र कोतवाल को सौंप दिया। जलालपुर कोतवाल संतोष कुमार सिंह के द्वारा पत्रकारों को फोन कर थाने पर बुलाया गया।जिसमें अगले दिन पत्रकारों का एक संगठन कोतवाली पहुंचकर अपना पक्ष रखते हुए डॉक्टर के द्वारा बनाए गए वीडियो जिसको डॉक्टर के द्वारा पत्रकार के मोबाइल पर भेज कर दबाव बनाने का प्रयास किया गया व पत्रकार के द्वारा बनाए गए वीडियो जिसमें डॉक्टर के द्वारा कुर्सी पर बैठकर आराम फरमाया जा रहा था और इमरजेंसी मेडिकल कमरे में जाते समय का डॉक्टर के वीडियो बनाने का वीडियो दिखाया गया की दबाव बनाने के लिए चिकित्सक के द्वारा मनगढ़ंत शिकायती पत्र दिया गया है ताकि उनके द्वारा मनमानी किया जाता रहे और जनहित के कार्य में लापरवाही बरती जाए।
गौरतलब है कि जलालपुर कोतवाली प्रभारी ने रस्सी को साप बनाने में वर्दी की ताकत का गलत दुरुपयोग किया गया। जब उनके पास पक्ष और विपक्ष का दोनों वीडियो सामने आ गया था तो दूध का दूध पानी का पानी इसी समय हो गया था, कि दिया गया शिकायती पत्र पत्रकारों के खिलाफ दबाव बनाने के लिए है फिर भी कोतवाल साहब ने वर्दी का दुरुपयोग करते हुए मुकदमा दर्ज कर दिया। आपको बता दें जिले में जब भी कोई मामला पत्रकारों के ऊपर होता है तो सबसे पहले उसमें रुपए वसूलने का मामला जरूर दिखाया जाता है। पत्रकारों के ऊपर दवा बनाकर अपनी कमियां को छुपाने के लिए यह घटिया कृत चिकित्सा के द्वारा किया गया। जब पत्रकार अधिकारी की कलम को फसाता है तो अधिकारी स्वयं अपने आप को निर्दोष स्थापित करने के लिए पत्रकार को ही बलि का बकरा बनाते हैं। पत्रकार के ऊपर आरोप लगाते हैं कि सरकार की छवि खराब करते हैं, जबकि भ्रष्ट अधिकारियों की कमियां इन पत्रकारों के द्वारा उजागर किया जाता है और जब पत्रकार लिखता है अधिकारी द्वारा एकमात्र आरोप लगाया जाता है कि सरकार की छवि धूमिल की जा रही है जबकि यह आप सच्चाई से कोसों दूर रहती है। फिलहाल जिले के नवागत जिलाधिकारी इस मामले को कितना संज्ञान लेते हैं क्योंकि यह बेहद ही शर्मनाक मामला सामने आया है।





