अवधी खबर संवाददाता
अम्बेडकरनगर।
थाना बसखारी क्षेत्र के ग्राम पंचायत हरैया में स्थित प्राचीन राम-जानकी मंदिर की भूमि पर अवैध निर्माण और मांसाहारी रेस्टोरेंट संचालन को लेकर विवाद गरमा गया है। गाटा संख्या 1040 पर स्थित यह भूमि बाबा ठाकुर दास जी मंदिर के अंतर्गत बताई जा रही है। आरोप है कि यहां फर्जी दस्तावेजों के आधार पर तीन मंजिला इमारत खड़ी कर दी गई है, जहां खुलेआम मांस-मछली बेची जा रही है। इससे धार्मिक भावनाएं आहत हो रही हैं और स्थानीय जनता में भारी आक्रोश है।
पुलिस की कार्रवाई, राजस्व विभाग अब भी मौन
मीडिया में खबर प्रकाशित होने के बाद पुलिस प्रशासन ने त्वरित संज्ञान लेते हुए मांस-मछली की बिक्री पर रोक लगाई। हालांकि, अब तक राजस्व विभाग द्वारा किसी भी प्रकार की विधिक कार्रवाई न किए जाने पर लोगों में असंतोष है और सवाल उठ रहे हैं कि आखिर इस मामले में प्रशासन चुप क्यों है?
मीडिया पड़ताल में बड़ा खुलासा
मंदिर से जुड़े बाबा रामदास जी का आरोप है कि बाबा राजकरन दास उर्फ़ चिड़ीमार दास ने प्रभावशाली लोगों की मिलीभगत से फर्जी दस्तावेज तैयार कर मंदिर की भूमि पर कब्जा कर लिया। उन्होंने कहा कि फर्जी दस्तावेजों की प्रक्रिया में बाबूराम वर्मा जैसे स्थानीय प्रभावशाली नाम भी शामिल रहे। बाबा रामदास जी के अनुसार इस भूमि पर किए गए अवैध निर्माण और रेस्टोरेंट संचालन के पीछे बाबा राजकरन दास व मौजूदा महंत अनूप दास की मिलीभगत है।
फर्जी महंथ नियुक्ति पर उठे सवाल
रामदास जी ने यह भी दावा किया कि वर्तमान महंत अनूप दास के पास महंथ बनने का कोई वैध प्रमाण नहीं है, फिर भी वह वर्षों से मंदिर पर अधिकार जमाए हुए हैं। उन्होंने मांग की है कि प्रशासन इस फर्जी महंथ को तत्काल प्रभाव से हटाए और मंदिर की पवित्रता, सुरक्षा और कानूनी स्थिति को बहाल करे।
हरैया क्षेत्र में यह मामला चर्चा का विषय बन चुका है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब मंदिर की 50-52 बीघा जमीन मंदिर ट्रस्ट के नाम दर्ज है, तो फिर फर्जी दस्तावेज बनाकर कब्जा करने वालों और उनकी मदद करने वालों पर अब तक कार्रवाई क्यों नहीं हुई? स्थानीय श्रद्धालु और सामाजिक कार्यकर्ता इस प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
क्या मंदिर की गरिमा को मिलेगी न्याय की रक्षा?
अब देखने वाली बात यह होगी कि जिला प्रशासन इस गंभीर मामले में कितनी तत्परता और पारदर्शिता से कार्रवाई करता है। क्या मंदिर की भूमि, आस्था और अखंडता को बचाने के लिए जिम्मेदार विभाग सजग होंगे या यह मामला भी अन्य विवादों की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा?




