भीटी अंबेडकरनगर। भीटी तहसील में इन दिनों जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाना बहुत ही कठिन हो गया है उप जिलाधिकारी भीटी को जन्म प्रमाण पत्र जारी करने में जन्म सिद्ध घटना का प्रमाण पत्र चाहिए जैसे भगवान श्री कृष्ण का जन्म मथुरा के कारागार में हुआ था वह एक घटना थी जो घटित हुई थी लेकिन इस तरह की घटना सबके साथ घटित नहीं होती तो सब लोग जन्म सिद्ध घटना का प्रमाण पत्र कहां से लाये। तहसील में आधार कार्ड अंक पत्र सर्टिफिकेट परिवार रजिस्टर की नकल में दर्ज जन्मतिथि के साथ गांव के सात सदस्यों के बयान और आंगनवाड़ी आशा बहू ग्राम रोजगार सेवक ग्राम प्रधान के द्वारा दिए गए स्पष्टीकरण के बावजूद भी भीटी तहसील से जन्म प्रमाण पत्र और मृत्यु प्रमाण पत्र की पत्रावली ब्लॉक भीटी को वापस कर दी जाती हैं तहसील प्रशासन के इस नकारात्मक व्यवहार से आम जनमानस पूरी तरह से बेचैन हो गया है और लोगों की परेशानी इससे बढ़ती जा रही है।
एक-एक वर्ष पूर्व मृत हुए लोगों की मृत्यु का प्रमाण पत्र आज तक नहीं बनाया गया। जिससे तमाम लोगों की जमीनों का खारिज दाखिल भी नहीं हो सका और लोगों को सरकार से मिलने वाली तमाम सरकारी योजनाओं से वंचित होना पड रहा हैं एक तरफ जहां उत्तर प्रदेश सरकार लोगों को सुलभ न्याय दिलाने की दिशा में लगातार एक से कदम बढ़ा रही है वहीं इस सरकार के शासनकाल में तैनात अधिकारी अपनी मर्जी से शासन चलाकर लोगों को परेशान करने पर लगे हुए हैं ना तो आप किसी भी मृत्यु प्रमाण पत्र में कोई जांच करने जाते हो ना तो आप अकेले प्रमाण पत्र जारी कर रहे हो और जो सरकार और अधिकारियों के द्वारा जो प्रारूप बनाए गए हैं उसमें गांव के सात लोगों का आधार कार्ड और उनके बयान लेने के अलावा आंगनवाड़ी आशा बहू ग्राम रोजगार सेवक पंचायत सहायक ग्राम प्रधान आदि से स्पष्टीकरण लेने के बाद पत्रावली तैयार करके ग्राम पंचायत अधिकारी द्वारा रिपोर्ट लगाकर ए डी ओ पंचायत के माध्यम से उपजिला अधिकारी भीटी के कार्यालय में भेजते हैं लेकिन उस पत्रावली पर कुछ ना भी जानते हुए कोई ना कोई आरोप लगाकर पत्रावली वापस कर दी जाती है कई पत्रावलियां जन्म प्रमाण पत्र की ऐसी है जो ग्राम पंचायत अधिकारियों के पास वापस आई है जिस पर उप जिलाधिकारी के द्वारा जन्मसिद्ध घटना होने का प्रमाण पत्र मांगा गया है।
अब ऐसी जन्म सिद्ध घटनाएं सबके साथ तो नहीं होती जैसी भगवान श्री कृष्ण के जन्म के समय मथुरा के कारागार में हुई थी जन्म प्रमाण पत्र की स्थिति यह है की 15से 20 साल पहले तमाम लोग गांव में अपने घरों में पैदा हुए और उस समय उनके जन्म के लिए कोई रजिस्टर नहीं बनाया जाता था माता-पिता पंडित से जन्मपत्री और कुंडली बनवाया करते थे उसी में उनकी जन्म तिथि लिखी जाती थी उसी के आधार पर माता-पिता अपने बच्चों का एडमिशन प्राथमिक विद्यालय में करवाते थे और प्राथमिक विद्यालय में दर्ज जन्म तिथि ही सभी बच्चों की जन्म तिथि मानी जाती थी आगे चलकर आधार कार्ड बना आधार कार्ड में जन्म की जो तिथि दर्ज की गई उसे भी सरकार द्वारा मान लिया गया। लेकिन वह सब लगाने के बावजूद जन्म प्रमाण पत्र जारी न किया जाना लोगों को परेशान किया जाना इस बात को दर्शाता है कि शासन में बैठे लोग एक आदमी की गलती की वजह से पूरे प्रदेश के लोगों को परेशान कर रहे हैं आम जनमानस का कहना है कि सरकार को जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र देने की स्थिति में विचार करना चाहिए और लोगों को आसानी से जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया जाना चाहिए। इस संबंध से में जब उप जिलाधिकारी भीटी सदानंद सरोज से बात की गई तो उन्होंने बताया कि लोग उम्र घटाकर फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनवाना चाहते हैं इसलिए नहीं बनाया जा रहा है क्योंकि कई जिलों में फर्जी प्रमाण पत्र बनाने वाले अधिकारी जेल जा चुके हैं।





