एक दर्जन से अधिक बिना परमिट सागौन के पेड़ों की कटान से संबंधित है मामला
प्रमोद वर्मा
अंबेडकरनगर(अवधी खबर)। जिले में लगातार लकड़ी के अवैध कटान रुकने का नाम नहीं ले रहा है। शिकायत के बाद ही अवैध कटान पर कार्रवाई हो पाना संभव हो पता है। वन विभाग के जिम्मेदारों की मिली भगत से लगातार लकड़ी माफियाओं द्वारा अवैध कटान को अंजाम दिया जा रहा है। मामला सामने आने पर संबंधित क्षेत्र के जिम्मेदार अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। जिम्मेदार बचने के लिए केस काट कर अपना बचाव कर लेते हैं।वही जिम्मेदार उनसे यह नहीं पूछते कि इन पेड़ों की कटान कैसे की गई।
अभी हाल ही में अकबरपुर ब्लॉक अंतर्गत अकबरपुर से इल्तिफातगंज जाने वाले मार्ग गौसपुर के पास अवैध रूप से सागौन के एक दर्जन से अधिक पेड़ों की कटान की गई थी।

क्षेत्रीय वन दरोगा को फोन कर कटान के परमिट के बारे में जानकारी हासिल की गई तो ऑफिस से जानकारी कर परमिट को बताने की बात कही गई। शाम को फोन कर जानकारी करने का प्रयास किया गया तो उनका फोन नहीं रिसीव हो सका और रात में फिर से कटान चालू हो गई। लकड़ी माफिया के द्वारा पेड़ों को काटकर जेसीबी मशीन से उनकी जड़ों पर उखाड़ कर सबूत को मिटाने का प्रयास करते हुए लकड़ी उठा ले जाया गया। मामला प्रभागीय वन अधिकारी उमेश तिवारी के संज्ञान में आने के बाद विभाग हरकत में आया और अगले दिन जाकर उस पर कार्रवाई करते हुए किसान के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर दिया। बड़ी बात यह है कि आखिर क्या पेड़ों के कटान की परमिट के लिए सीधे प्रभागीय वन अधिकारी के द्वारा जारी कर दिया जाता है।
लेकिन ऐसा नहीं होता है क्षेत्रीय वन दरोगा के द्वारा उस पर रिपोर्ट लगाने के बाद ही पेड़ों की परमिट जारी की जाती है। ऐसे में पेड़ों की कटान के बारे में जानकारी हासिल करने पर क्षेत्रीय वन दरोगा के द्वारा गुमराह किया गया जबकि उन्ही के रिपोर्ट के बाद ही परमिट जारी होती है और उसकी जानकारी भी हो जाती है कि किस क्षेत्र में पेड़ की कटान की परमिट बनी है। लेकिन यहां पर वन दरोगा के द्वारा ऑफिस जाकर परमिट के बारे में जानकारी देने की बात कही गई और शाम को जब फोन किया गया तो फोन नहीं रिसीव किया गया।
वही प्रभागीय वन अधिकारी द्वारा कोई कार्यवाही वन दरोगा के खिलाफ नहीं की गई जबकि यह मामला प्रभागीय वनाधिकारी के संज्ञान में होने के बाद ही उस पर कार्रवाई हो पाई है, उन्हें मामले की सारी जानकारी भी उसी समय दी गई थी। वही जब इस विषय पर अवधी खबर के संवाददाता ने प्रभागीय वनाधिकारी उमेश तिवारी से टेलिफोनिक वार्ता किया तो उनके द्वारा वन दरोगा का बचाव करते हुए गोल-गोल जवाब दिया गया।




