अवैध अस्पताल बना मौत का घर, प्रसूता की मौत के बाद परिजनों का हंगामा, संचालक हिरासत में

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अवधी खबर संवाददाता

अंबेडकरनगर! जनपद के आलापुर तहसील क्षेत्र स्थित एक अवैध रूप से संचालित निजी अस्पताल में प्रसव के दौरान एक महिला की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। घटना से आक्रोशित परिजनों ने शव को अस्पताल के सामने रखकर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। पुलिस ने हालात बिगड़ते देख तत्काल हस्तक्षेप कर अस्पताल संचालक को हिरासत में ले लिया। इस घटना ने जिले में संचालित अनाधिकृत अस्पतालों की हकीकत को उजागर कर दिया है।

बगैर पंजीकरण के चल रहा था अमन पॉलिक्लिनिक

जहांगीरगंज थाना क्षेत्र के नरियाव गांव में स्थित अमन पॉलिक्लिनिक नामक यह अस्पताल, स्थानीय स्तर पर बिना किसी सरकारी मान्यता या विशेषज्ञ चिकित्सकों की मौजूदगी के वर्षों से संचालित हो रहा था। 14 मई को 27 वर्षीय नीतू यादव, निवासी मुंगेशपुर को प्रसव पीड़ा के बाद इसी अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

ऑपरेशन के बाद बिगड़ी हालत, मौत की खबर से बिफरे परिजन

बताया जा रहा है कि नीतू यादव की ऑपरेशन से डिलीवरी कराई गई, जिसके कुछ समय बाद उनकी हालत गंभीर हो गई। अस्पताल संचालक ने जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुए मरीज को आज़मगढ़ के एक अन्य निजी अस्पताल रेफर कर दिया, जहां इलाज के दौरान नीतू की मौत हो गई। मौत की खबर मिलते ही परिजन शव को लेकर सीधे नरियाव स्थित अमन पॉलिक्लिनिक पहुंचे और शव को अस्पताल के गेट पर रखकर हंगामा शुरू कर दिया। गुस्साए परिजनों ने अस्पताल की लापरवाही को हत्या करार देते हुए सख्त कार्रवाई की मांग की।

पुलिस ने संभाला मोर्चा, संचालक हिरासत में

सूचना मिलते ही जहांगीरगंज थानाध्यक्ष अजय प्रताप सिंह पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे और प्रदर्शनकारियों को शांत करने का प्रयास किया। हालात को देखते हुए अस्पताल संचालक को मौके से हिरासत में ले लिया गया और थाने लाया गया। पुलिस ने परिजनों की तहरीर के आधार पर जांच शुरू कर दी है।

मौत हुई लापरवाही से, नहीं छोड़ेंगे दोषियों को: परिजन

मृतका के परिवार वालों का आरोप है कि अस्पताल में ना तो कोई योग्य डॉक्टर मौजूद था और ना ही प्रसव जैसी गंभीर प्रक्रिया के लिए आवश्यक सुविधाएं। “बिना लाइसेंस, बिना विशेषज्ञ, और बिना डर के ये लोग आम जनता की जिंदगी से खेल रहे हैं,” – ऐसा कहना है मृतका के भाई राजकुमार यादव का।

स्वास्थ्य विभाग की भूमिका पर सवाल

इस घटना ने जिले भर में स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। आखिर इतने लंबे समय से अवैध रूप से अस्पताल चल कैसे रहा था? क्या स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत से आम जनमानस की जान जोखिम में डाली जा रही है?

जनपद में अवैध क्लीनिकों की जांच की मांग तेज

घटना के बाद सामाजिक संगठनों व स्थानीय लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि जनपद में संचालित सभी निजी अस्पतालों और क्लीनिकों की जांच कराई जाए, ताकि भविष्य में इस तरह की लापरवाही से जानें न जाएं। साथ ही दोषी चिकित्सकों और संबंधित अधिकारियों पर हत्या जैसा मुकदमा दर्ज किया जाए।
नीतू यादव की मौत ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर ग्रामीण क्षेत्रों में किस तरह आम जनता की जान से खिलवाड़ हो रहा है। अब देखना यह है कि प्रशासन इस गंभीर मामले में कितना कठोर और प्रभावी कदम उठाता है।


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