
लखनऊ ( अवधी खबर)। बुद्धिस्ट इंटरनेशनल नेटवर्क द्वारा संत शिरोमणि रविदास जयंती कार्यक्रम आयोजित किया गया।इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर चौधरी विकास पटेल ( राष्ट्रीय अध्यक्ष, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग मोर्चा,न्ई दिल्ली) उपस्थित होकर उपस्थित विशाल जनसमूह को संबोधित किया। इस मौके पर चौधरी विकास पटेल ने कहा कि संत शिरोमणि रविदास जी का आंदोलन भक्ति का आंदोलन नहीं था यह मूल निवासी बहुजन समाज की आजादी का आंदोलन था । उन्होंने कहा कि देश में एक लम्बे समय से मनुवादी ब्राह्मणवादी व्यवस्था ने देश की बहुसंख्यक आबादी को अधिकार वंचित कर गुलाम बनाने का कार्य किया था ।जिसके विरोध में तमाम संतों ,गुरूओं , महापुरुषों ने समाज जागृत करने तथा ब्राह्मणवादी व्यवस्था की गुलामी से मुक्त करने के लिए प्रयास किया ।

इस कड़ी संत शिरोमणि रविदास जी का विशेष स्थान है। उन्होंने कहा कि संत रविदास जाति व्यवस्था,वर्ण व्यवस्था, ऊंच-नीच, छुआ-छूत, भेद-भाव, आडम्बर एवं पाखण्ड के घोर विरोधी थे। वे समता मूलक समाज की स्थापना करना चाहते थे । इसलिए उन्होंने कहा कि ” ऐसा चाहूं राज मैं मिले सभी को अन्न , छोटे बड़े सब सम बसे रविदास रहें प्रसन्न ” । संत शिरोमणि जी जाति व्यवस्था के भी घोर विरोधी थे और जाति के नाम पर ऊंची नीची की भावना के प्रखर विरोधी थे इसलिए उन्होंने कहा कि “
“रविदास जन्म के कारनै, होत न कोउ नीच,
नर कूँ नीच करि डारि है,ओछे करम की कीच” ।
जाति-जाति में जाति हैं, जो केतन के पात,
रैदास मानुष न जुड़ सके ,जब तक जाति न जात”
जात पांत के फेर मंहि, उरझि रहइ सब लोग।
मानुषता कूं खात हइ, रैदास जात कर रोग॥

इसी तरह से संत शिरोमणि रविदास जी ने ब्राह्मणवादी वर्चस्व को खुली चुनौती देते हुए कहते हैं कि जाति के आधार पर पूजा नहीं होनी चाहिए गुणों की पूजा करनी चाहिए
“रैदास ब्राह्मण मति पूजिए, जए होवै गुन हीन।
पूजिहिं चरन चंडाल के, जउ होवै गुन प्रवीन॥”
पाखण्ड, आडम्बर का विरोध करते हुए उन्होंने कहा कि ” मन चंगा,तो कठौती में गंगा ” यदि उनकी यह बात समाज मानता तो आज कुंभ में इतनी बड़ी घटना नहीं होती और तमाम लोगों की जान नहीं जाती । उन्होंने कहा कि प्राचीन काल में तथागत बुद्ध ने जो समता , स्वतंत्रता, बंधुत्व और न्याय का आंदोलन चलाया था मध्यकालीन भारत उसी आंदोलन रविदास जी आगे बढ़ाने का कार्य कर रहे थे।और आधुनिक भारत में राष्ट्रपिता ज्योति राव फूले, छत्रपति शाहूजी महाराज के आंदोलन को आगे बढ़ाकर बाबासाहेब डॉ अम्बेडकर ने भारतीय संविधान में समता, स्वतंत्रता, बंधुत्व और न्याय स्थापित करने की बात लिख दिया । लेकिन संविधान लागू होने 75 वर्ष बाद भी समाज में अभी समता, स्वतंत्रता, बंधुत्व और न्याय स्थापित नहीं हो पाया है । इसलिए संत रविदास के विचार आज और भी ज्यादा प्रासंगिक हो जाते हैं जब देश में जाति और धर्म के नाम पर समाज को बांट कर राजनीति करने का प्रयास बड़े पैमाने पर मनुवादी दलों के द्वारा करने की कोशिश हो रही है । और देश में वर्ण और जाति पर आधारित मनुवादी व्यवस्था को फिर से कुछ मनुवादी ताकतें स्थापित करना चाहती ऐसे हैं ।ऐसे समय में रविदास जी अनुयायियों की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है कि वे संत शिरोमणी रविदास जी के विचारों को लेकर आगे बढ़े और उनके विचारों को समाज में स्थापित रविदास जी के सपनों का भारत निर्माण करें । यही संत शिरोमणि रविदास जी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।इस मौके पर मान्यवर आनन्द कुमार गौतम राष्ट्रीय सह प्रभारी बुद्धिस्ट इंटरनेशनल नेटवर्क नई दिल्ली , मान्यवरओमवीरवर्मा प्रदेश अध्यक्ष राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग मोर्चा (उत्तर प्रदेश),मान्यवरपंकजबौद्धिक प्रदेश कोषाध्यक्ष भारतीय विद्यार्थी मोर्चा,राहुल_मद्धेशिया जिलाध्यक्ष राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग मोर्चा जनपद संतकबीरनगर सहित हजारों की संख्या में लोग उपस्थित रहे।





