प्रमोद कुमार वर्मा
अम्बेडकरनगर (अवधी खबर)।
धान खरीद व्यवस्था में पारदर्शिता के दावों पर सवाल खड़े हो गए हैं। आरोप है कि ए.आर. कोऑपरेटिव द्वारा शासनादेश की धज्जियां उड़ाते हुए ऐसे समितियों पर भी धान क्रय केन्द्र स्थापित किए गए हैं, जिन पर पहले से एफआईआर दर्ज है। इतना ही नहीं, कुछ सचिव जिन पर गबन के मुकदमे दर्ज हैं, उन्हें भी धान खरीद का प्रभारी बना दिया गया है।
शासनादेश में स्पष्ट प्रावधान है कि क्रय केन्द्र का संचालन केवल ऐसे नियमित कर्मचारियों से कराया जाए जिनकी सेवा अवधि कम से कम 2 वर्ष से अधिक हो। इसके बावजूद कई समितियों पर जो समिति पर नियमित कर्मचारी नहीं है उनको क्रय केंद्र प्रभारी नियुक्त किया गया है और कुछ ऐसे लोगों को भी जिम्मेदारी सौंप दी गई जिनका कार्यकाल दो वर्ष से कम बचा है। ऐसे सचिव को भी केंद्र प्रभारी बना दिया गया है जो कभी भी समिति के स्थाई कर्मचारी नहीं रहे हैं।
किसानों का कहना है कि यह पूरा खेल ए.आर. कोऑपरेटिव राघवेंद्र शुक्ला की मिलीभगत से हुआ है। यही नहीं, कई ऐसे धान क्रय केन्द्र भी बंद कर दिए गए जिन पर न तो कोई एफआईआर दर्ज थी और न ही गबन का आरोप है। इसके विपरीत, दागी समितियों पर क्रय केन्द्र खोल दिए गए।
इस मामले ने आमजन में गहरी नाराजगी और चर्चाओं को जन्म दिया है। किसानों का कहना है कि जब ईमानदार समितियों को नजरअंदाज कर दागी केन्द्रों को मौका दिया जाएगा, तो खरीफ विपणन व्यवस्था पर विश्वास कैसे कायम रहेगा?
ए.आर. कोऑपरेटिव ने क्या कहा………..
जब इस विषय पर ए.आर. कोऑपरेटिव राघवेंद्र शुक्ला से टेलिफोनिक वार्ता करने का प्रयास किया गया तो उनके द्वारा फोन नहीं उठाया गया।
एडीएम सदानंद गुप्ता ने क्या कहा…………..
वही जब इस विषय पर एडीएम सदानंद गुप्ता से टेलिफोनिक वार्ता किया गया तो उनके द्वारा कहा गया कि शासनादेश के बारे में मुझे जानकारी नहीं है शासनादेश आप मुझे व्हाट्सएप कीजिए मैं देखकर निर्देशित करता हूं।




