खंड शिक्षा अधिकारी पर लगे मनमाने निस्तारण के आरोप

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_खंड शिक्षा अधिकारी भियांव साक्ष्य प्रस्तुत करें अन्यथा  शासन स्तर पहुंचेगा मामला_

_ऐसे ही अधिकारी जनसुनवाई पर फर्जी निस्तारण कर जिले को लाते हैं टाप पर_

शिकायत संख्या 40017825029656 को नियम विरुद्ध स्पेशल क्लोज करने का मामला, शिकायतकर्ता ने की निष्पक्ष जांच की मांग

अवधी खबर संवाददाता

अंबेडकरनगर।
जनसुनवाई पोर्टल पर दर्ज शिकायत संख्या 40017825029656 के निस्तारण को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। शिकायतकर्ता द्वारा आरोप लगाया है कि खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) भियांव द्वारा शिकायत का निस्तारण पूर्णतः नियमों के विरुद्ध करते हुए मनमाने ढंग से “स्पेशल क्लोज” कर दिया गया, जबकि शिकायत में किए गए आरोपों की जांच अधूरी रही।

शिकायतकर्ता के अनुसार, इस प्रकार की कार्यवाही से यह स्पष्ट होता है कि जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायतों को वास्तविक समाधान के बजाय केवल आंकड़े सुधारने के उद्देश्य से बंद किया जा रहा है, जिससे शासन की पारदर्शिता नीति पर प्रश्नचिह्न लग रहा है।

*अपठनीय दस्तावेजों पर उठे सवाल*

मामला ज्ञान भारती विद्यापीठ, मथुरा रसूलपुर (खंड शिक्षा क्षेत्र भियांव) से जुड़ा बताया गया है। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि निस्तारण रिपोर्ट में लगाए गए दस्तावेजों के कई पृष्ठ अपठनीय हैं। उन्होंने शासन से अनुरोध किया है कि संपूर्ण एवं स्पष्ट दस्तावेजों को पुनः अपलोड कराया जाए, ताकि प्रकरण की वास्तविक स्थिति स्पष्ट हो सके।

बीईओ पर झूठे आरोप लगाने का आरोप

शिकायतकर्ता का कहना है कि खंड शिक्षा अधिकारी भियांव द्वारा निस्तारण रिपोर्ट में शिकायतकर्ता पर झूठे और निराधार आरोप लगाए गए कि उन्होंने कई विद्यालयों के विरुद्ध बार-बार शिकायतें कीं और आर्थिक लाभ की मांग की। शिकायतकर्ता ने इस आरोप को असत्य बताते हुए बीईओ को चुनौती दी है कि “यदि मेरे द्वारा खंड शिक्षा क्षेत्र भियांव के किसी विद्यालय के विरुद्ध कोई अन्य शिकायत की गई हो, तो उसकी प्रति एवं आख्या सार्वजनिक की जाए, अन्यथा यह स्पष्ट होगा कि बीईओ ने झूठी रिपोर्ट प्रस्तुत की है।”

जांच रिपोर्ट ही सबसे बड़ा साक्ष्य

शिकायतकर्ता ने कहा कि उनकी शिकायत जांच में सही पाई गई और स्वयं खंड शिक्षा अधिकारी ने जांच रिपोर्ट पोर्टल पर अपलोड की थी। ऐसे में, कार्यवाही के लिए अतिरिक्त साक्ष्य मांगना अनुचित है। उन्होंने कहा कि जब स्वयं अधिकारी की रिपोर्ट ही साक्ष्य के रूप में उपलब्ध है, तो “साक्ष्य की मांग” का कोई औचित्य नहीं है।

पत्रकारिता पर टिप्पणी को बताया आपत्तिजनक

निस्तारण रिपोर्ट में यह उल्लेख किया गया कि “शिकयत कर्ता मान्यता प्राप्त पत्रकार की सूची में नहीं हैं।” इस पर प्रतिक्रिया देते हुए शिकायतकर्ता ने कहा कि खंड शिक्षा अधिकारी पत्रकारिता की प्रक्रिया और प्रेस की वैधानिक स्थिति की जानकारी लिए बिना किसी पत्रकार पर फर्जी होने का आरोप नहीं लगा सकते। यदि उन्हें ऐसा लगता है, तो प्रमाण प्रस्तुत करें, अन्यथा पत्रकारिता पर लगाए गए इस टिप्पणी का स्पष्टीकरण पोर्टल पर अपलोड करें।

निष्पक्ष जांच की मांग

शिकायतकर्ता ने शासन से अनुरोध किया है कि उक्त प्रकरण की निष्पक्ष जांच कराते हुए खंड शिक्षा अधिकारी भियांव के विरुद्ध नियमानुसार कार्यवाही की जाए। उनका कहना है कि इस प्रकार के स्पेशल क्लोज निस्तारण से जनसुनवाई पोर्टल की विश्वसनीयता पर गहरा असर पड़ रहा है, जिससे आम नागरिकों का भरोसा कमजोर हो रहा है।


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