
अम्बेडकरनगर।जलालपुर विधानसभा के बरौली गांव में संत शिरोमणि रविदास जी की जयंती बड़े धूमधाम से मनाई गई।
जिसमें मुख्य रूप से समाजवादी पार्टी जलालपुर के ब्लॉक अध्यक्ष संदीप वर्मा एवं शालू सिंह रामबली रमाकांत गौतम अनुराग गौतम राजदेव गौतम विकास गौतम अंशुल चौधरी शैलेंद्र गौतम दिग्विजय बाबा रंजीत गौतम उत्तम गौतम सहित सैकड़ो लोग उपस्थित रहे।
_संत रविदास जी का संक्षिप्त जीवन परिचय_
संत रविदास को भक्ति आंदोलन के एक अग्रणी प्रवर्तक के रूप में देखा जाता है, जिनका जन्म 1376 ईसवीं में माघ मास की पूर्णिमा को गोवर्धनपुर गांव (वाराणसी) में हुआ था। उनके पिता संतोख दास पेशे से चर्मकार थे, और मां कर्मा बेहद धार्मिक प्रवृत्ति की स्त्री थीं…. रविवार के दिन जन्म होने के कारण उनका नाम रविदास रखा गया था। संत रविदास के अनुयायी देश-विदेश में फैले हुए हैं जो उन्हें भिन्न-भिन्न नामों से पुकारते हैं। गुजरात और महाराष्ट्र में उन्हें रोहिदास कहा जाता है, बंगाल में रुई दास कहते हैं, जबकि पांडुलिपियों में रामदास, रैदास, रेमदास और रौदास के नाम से भी वे लोकप्रिय हैं……
_कैसे बनें संत रविदास ‘शिरोमणी’_
संत रविदास बचपन से बहुत कर्मठी और मेहनती थे, वे कामकज में अपने पिता का हाथ तो बंटाते ही थे साथ ही साथ उन्हें साधु-संतों का सानिध्य भी अच्छा लगता था। वह जब भी किसी साधु-संत को नंगे पैर चलते देखते तो उनए लिये चप्पल बना लाते थे, रविदास के पिता उनकी इस हरकत से नाराज रहते थे. एक दिन उन्होंने रविदास को घर से निकाल दिया। संत रविदास एक कुटिया बनाकर रहने लगे… वे वहीं रहकर जूते-चप्पल बनाते थे। लेकिन उन्होंने साधु-संतों की सेवा करना नहीं छोड़ा…. साथ-साथ वह समाज में व्याप्त बुराइयों एवं छुआछूत आदि पर दोहे और कविताएं रचकर समाज पर व्यंग्य कसते थे। उन्हें भक्ति आंदोलन में बहुत महान दर्जा भी प्राप्त है। धीरे-धीरे लोग रविदास की वाणी प्रभावित होने लगे। उनके अनुयायियों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी। देखते ही देखते वह संत शिरोमणि के रूप में प्रसिद्ध होने लगे।





