अवधी खबर संवाददाता
बसखारी (अंबेडकर नगर)। शासन की मंशा है कि गांव-गांव स्वच्छता और विकास योजनाओं का लाभ जनता तक पहुँचे, लेकिन जमीनी स्तर पर इन योजनाओं का क्या हाल है, इसकी तस्वीर ग्राम सभा कटया गंजन (विकासखंड बसखारी) से सामने आई है। यहां पर कागजों पर विकास कार्य पूरे दिखा दिए गए, जबकि हकीकत में स्थिति बिल्कुल उलट है। ग्रामीणों का आरोप है कि प्रधान और सचिव की मिलीभगत से सरकारी धन की खुलेआम लूट हो रही है।
आरसीसी सेंटर – आधा अधूरा, खर्च पूरा
ग्राम पंचायतों में आबादी के अनुपात से कूड़ा निस्तारण के लिए आरसीसी सेंटर (कूड़ा घर) का निर्माण कराया जाना था।पंचायत विभाग के सहायक विकास अधिकारी पंचायत का दावा है कि ग्राम सभा कटया गंजन में आरसीसी सेंटर का निर्माण पूरा हो गया है।लेकिन जमीनी सच्चाई यह है कि यह कार्य आधा-अधूरा पड़ा है।ग्रामीणों ने बताया कि मात्र 5–6 टाली मिट्टी डालकर पटाई कर दी गई और 92,000 रुपये से अधिक खर्च दिखा दिया गया।
इस हिसाब से एक टाली मिट्टी की कीमत लगभग 18,000 रुपये बैठती है, जो सीधा-सीधा भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है
पंचायत भवन की स्थिति
ग्राम सभा में पंचायत भवन हाल ही में बना, लेकिन निर्माण की गुणवत्ता इतनी घटिया है कि कुछ ही महीनों में जगह-जगह दीवारें टूटने लगी हैं। ग्रामीणों का कहना है कि “नया भवन पुराने खंडहर जैसा नजर आ रहा है।यह स्थिति निर्माण में हुए अनियमितताओं और घटिया सामग्री के इस्तेमाल का स्पष्ट प्रमाण है।
इंडिया मार्का हैंडपंप का खेल
पंचायत भवन पर लगे इंडिया मार्का हैंडपंप की हालत भी बेहाल है।ग्रामीणों ने बताया कि यह हैंडपंप पानी देने लायक नहीं है। जबकि 06 जून 2025 को इसके नाम पर पैसा निकाला गया। सवाल उठता है कि जब हैंडपंप काम ही नहीं कर रहा तो इसके नाम पर पैसा आखिर किस मद में खर्च किया गया?
सचिव का कार्यालय कूड़े में तब्दील
पंचायत भवन परिसर में बने सचिव कक्ष की स्थिति भी शर्मनाक है। ग्रामीणों के अनुसार सचिव शायद ही कभी गांव आती हों। जिस कमरे में उन्हें बैठना चाहिए, वह कमरा ही कूड़े से भरा पड़ा है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि सचिव गांव की समस्याओं और कार्यों की निगरानी आखिर कैसे करती हैं?
ग्रामीणों के आरोप – प्रधान और सचिव की मिलीभगत
ग्रामीणों का कहना है कि ग्राम प्रधान और सचिव मिलकर योजनाओं के नाम पर करोड़ों रुपये का बंदरबांट कर रहे हैं। जो काम अधूरे हैं, उन्हें कागजों पर पूरा दिखाया जा रहा है।
घटिया निर्माण कर विकास योजनाओं का पैसा जेबों में डाला जा रहा है। सरकारी कानून और विभागीय कार्रवाई का कोई भय जिम्मेदारों में नहीं है। ग्रामीणों ने मांग की है कि इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए।
उनका कहना है कि अगर समय रहते कार्रवाई नहीं हुई तो सरकारी धन का इसी तरह बंदरबांट होता रहेगा और विकास की योजनाएं कागजों तक ही सीमित रह जाएंगी।
ग्राम सभा कटया गंजन का मामला सिर्फ एक गांव की कहानी नहीं है, बल्कि यह बताता है कि किस तरह योजनाओं की आड़ में जमीनी स्तर पर भ्रष्टाचार का जाल फैला हुआ है। अब जिम्मेदारी जिला प्रशासन और शासन की है कि वह कब और कैसी कार्रवाई करता है।




