
जलालपुर अंबेडकर नगर। स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली का एक और गंभीर मामला नगपुर अस्पताल से सामने आया है, जहाँ फार्मासिस्ट गुलाब गौतम द्वारा न केवल मरीजों के प्रति लापरवाही बरती जा रही है, बल्कि पत्रकारों से भी अभद्रता की जा रही है।
घटना का विवरण
शनिवार को रंजीत यादव, अपने पिता को इलाज के लिए नगपुर सीएससी (सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र) ले जा रहे थे। रास्ते में जलालपुर बसखारी स्टैंड के पास एक गन्ने के जूस वाले ठेले से फेंके गए छिलके के कारण उनकी बाइक फिसल गई, जिससे दोनों गंभीर रूप से घायल हो गए। आसपास मौजूद लोगों ने तत्काल उन्हें नगपुर अस्पताल पहुंचाया।

अस्पताल में प्राथमिक जांच के बाद, डॉक्टर वेद प्रकाश ने कुछ दवाइयाँ और जांच लिखी और कमरा नंबर 3 या 4 में जाने को कहा। लेकिन जब घायल मरीज वहाँ पहुंचे, तो वे कमरे खाली मिले। इस पर पत्रकार संदीप यादव ने डॉक्टर से पुनः जानकारी ली, जिसके बाद उन्हें कमरा नंबर 9 में जाने की सलाह दी गई।
फार्मासिस्ट का अभद्र व्यवहार
इस दौरान, पत्रकार संदीप यादव ने जब फार्मासिस्ट गुलाब गौतम से मरीजों की समस्याओं को लेकर बातचीत करनी चाही, तो वह तमतमा गए और पत्रकार से दुर्व्यवहार करने लगे। गुलाब गौतम ने कहा,
“आप जल्दी करवा देंगे तो मैं क्या करूँ? आप क्या कर लेंगे, मुझे सस्पेंड करवा देंगे?”
गौतम के इस व्यवहार से मरीज और उनके परिजन आक्रोशित हो गए। एक अन्य मरीज ने बताया कि गुलाब गौतम हमेशा इसी तरह मरीजों से दुर्व्यवहार करता है और उनकी समस्याओं को अनसुना कर देता है।
अस्पताल की लचर व्यवस्था
मरीजों को एक्स-रे करवाने की जरूरत होने पर गुलाब गौतम द्वारा अक्सर कहा जाता है कि “एक्स-रे प्लेट नहीं है,” जिससे सैकड़ों मरीज बिना जांच के लौट जाते हैं।
अस्पताल में स्वच्छता की भारी कमी है, टॉयलेट और बाथरूम गंदगी से भरे पड़े हैं।
मरीजों को पूरी दवा नहीं दी जाती, और जरूरी मेडिकल जांच यह कहकर टाल दी जाती है कि “मशीन खराब है।”
पूर्व में भी अभद्रता के आरोप

यह पहली बार नहीं है जब गुलाब गौतम का ऐसा रवैया सामने आया है। पूर्व में भी कई पत्रकारों और मरीजों के साथ उनकी अभद्रता के मामले सामने आ चुके हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग द्वारा अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई।
पत्रकार संघ का आक्रोश और न्याय की मांग
पत्रकार संघ ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए गुलाब गौतम पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 186, 323, 504 और 506 के तहत कार्रवाई की माँग की है।
धारा 186: सरकारी कार्य में बाधा डालने के लिए।
धारा 323: जानबूझकर किसी को चोट पहुँचाने के लिए।
धारा 504: जानबूझकर अपमान कर शांति भंग करने के लिए।
धारा 506: आपराधिक धमकी देने के लिए।
पत्रकारों ने चेतावनी दी है कि यदि प्रशासन ने जल्द कार्रवाई नहीं की, तो वे इस मुद्दे को उच्च स्तर तक उठाने के लिए बाध्य होंगे।
निष्कर्ष
स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार और मरीजों के साथ सम्मानजनक व्यवहार सुनिश्चित करने के लिए कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है। इस तरह की घटनाएँ आम जनता के प्रति प्रशासन की उदासीनता को दर्शाती हैं। यदि जल्द ही उचित कार्रवाई नहीं की गई, तो यह मामला और गंभीर रूप ले सकता है।





