 
									अदालत ने सुनवाई के बाद अवैध निर्माण हटाने के साथ ही लगाया जुर्माना
अंबेडकरनगर। बंजर खाता की जमीन पर कूट रचना कर आबादी की जमीन घोषित करा अवैध रूप से घर निर्माण को अतिक्रमण मुक्त कराने का आदेश आने में 29 वर्ष लग गए। अदालत ने सुनवाई के बाद अवैध निर्माण हटाने के साथ ही जुर्माना लगाया है।
प्रकरण जलालपुर तहसील के मरहरा मंझरिया गांव का है। अब देखना यह होगा कि अवैध अतिक्रमण राजस्व प्रशासन हटाता है अथवा विपक्षी को और मौका देता है।गांव निवासी परशुराम पुत्र राम निहोर ने गांव स्थित बंजर खाता 2821 ख में अवैध कब्जा कर मकान आदि का निर्माण कर लिया।इतना ही नहीं कागजात में हेरा फेरी कर इसे आबादी की जमीन घोषित कर लिया।
शिकायत पर 1996 में हल्का लेखपाल ने तहसीलदार मजिस्ट्रेट अदालत में बेदखली का मुकदमा दायर किया।सुनवाई के बाद 2001 में इनके विरुद्ध बेदखली की कार्यवाही की गई और अदालत ने 4350 रुपए क्षतिपूर्ति और 3 रुपया निष्पादन व्यय लगाया।बेदखली के आदेश पर विपक्षी ने वाज दायरा देकर सुनवाई की अपील किया और अपने पक्ष में आबादी का कागजात लगाया। जांच में उक्त जमीन आबादी के बजाय बंजर खाता के रूप में मिली।
विपक्षी तहसीलदार मजिस्ट्रेट के आदेश को अपर आयुक्त की अदालत में ले गया जहां उसका मुकदमा निरस्त कर दिया गया।इसी दौरान गांव निवासी स्वामी नाथ यादव तहसीलदार अदालत के आदेश के अनुपालन के लिए उच्च न्यायालय की शरण ली।
तहसीलदार मजिस्ट्रेट अदालत ने सुनवाई के बाद 31 मई 2025 को उक्त भूमि को बंजर खाता की मानते हुए 25200 रुपए क्षतिपूर्ति और 800 रुपया का निष्पादन व्यय का आदेश पारित किया गया। सरकारी जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराने में 29 वर्ष लगने की चर्चा क्षेत्र में शुरू हो गई है।





