अवधी खबर संवाददाता
अंबेडकरनगर।उत्तर प्रदेश के माध्यमिक शिक्षा विभाग द्वारा विद्यालयों में ऑनलाइन हाजिरी प्रणाली लागू की गई है। इस डिजिटल कदम का उद्देश्य शिक्षकों व छात्रों की उपस्थिति में पारदर्शिता लाना, विद्यालय अनुशासन को सशक्त बनाना तथा शैक्षिक कार्यों की निगरानी को तकनीकी रूप से मजबूत करना है।यद्यपि देखने और सुनने में यह योजना बड़ी पारदर्शी और उपयोगी लग रही है,किंतु गैरहाजिर नेटवर्क और ऑफलाइन कनेक्टिविटी की हालत का जिम्मेदार कौन होगा?शिक्षकों को लैपटॉप और टैबलेट चलाने का प्रशिक्षण और संचार यंत्रों की उपलब्धता कैसे सुनिश्चित होगी?आदि प्रश्न अभी भी भविष्य की गर्त में हैं और कि हालात तो यहां तक पुरसाहाली को बयां कर रहे हैं कि कॉलेज खुलने को आ गए किंतु ऑनलाइन हाजिरी की तैयारी का कोई जिक्र तक नहीं है।इससे तो यही परिलक्षित होता है कि योजना के कुछ सकारात्मक पहलुओं के साथ अनेक व्यवहारिक कठिनाइयाँ भी सामने आयेगीं।जिनसे निजात पाए बिना क्रियान्वयन सफल होगा,इसमें संदेह है।
ऑनलाइन हाजिरी की अच्छाइयों की बात की जाए तो ऐसा होने पर पारदर्शिता और अनुशासन को बढ़ावा मिलने की प्रबल संभावना है।उपस्थिति को डिजिटल माध्यम से दर्ज करने से हेरफेर की संभावना घटेगी और विद्यालय अनुशासन सुदृढ़ होगा।इसके अतिरिक्त प्रशासनिक निगरानी में सुविधा के साथ ही साथ ब्लॉक/जिला/राज्य स्तर पर अधिकारियों को रियल टाइम डेटा उपलब्ध होता है जिससे निरीक्षण सरल हो जाता है।इसी प्रकार डिजिटल इंडिया की ओर बढ़ते कदम छात्रों व शिक्षकों को तकनीक से जोड़ेगी,ऐसी उम्मीद तो अवश्य है,भले ही टांय टांय फ़िस्स क्यों न हो,यद्यपि की यह प्रक्रिया राष्ट्रीय डिजिटल मिशन के अनुरूप है।ऑनलाइन हाजिरी का सबसे बड़ा फायदा फर्जी हाजिरी पर नियंत्रण होगा क्योंकि शिक्षकों और कर्मचारियों तथा विद्यार्थियों की मोबाइल से जीपीएस आधारित हाजिरी देने की व्यवस्था से फर्जी उपस्थिति पर रोक संभव हो सकेगी।
इससे नाम लिखाकर कक्षाओं से पलायन करने वाले विद्यार्थियों पर अंकुश लगेगा तो प्राइवेट विद्यालयों द्वारा फर्जी हाजिरी भरने के नाम पर विद्यार्थियों से उगाही किए जाने की भी प्रबल संभावना है।
ऑनलाइन हाजिरी के नफे की चर्चा के साथ ही नुकसान और प्रमुख दिक्कतों की भी चर्चा आवश्यक है।जिनके बिना यह योजना असली जामा पहन ही नहीं सकती।यथा,इंटरनेट कनेक्टिविटी की समस्या ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे बड़ी बाधा है। कई बार ऑनलाइन हाजिरी समय पर दर्ज नहीं हो पाती।इसके अलावा मोबाइल एप की तकनीकी खामियाँ,समय-समय पर एप क्रैश होना, ओटीपी न आना या सर्वर डाउन रहना आम समस्या है।
इसका भी निदान और समाधान सरकारी अधिकारियों को ही प्रस्तुत करना होगा क्योंकि संसाधनों और सुविधाओं के अभाव में क्रियान्वयन संभव नहीं होगा।अभी तक परंपरागत हाजिरी लेने में अभ्यस्त शिक्षकों पर अतिरिक्त तकनीकी दबाव भी कार्यशैली को प्रभावित किए बिना नहीं रहेगा।शिक्षकों को विद्यालय पहुंचते ही हाजिरी का तनाव बना रहेगा और थोड़ी भी देर होने पर उसके शिक्षण कार्य का प्रभावित होना लाजिमी है।जीपीएस की सीमा और सटीक लोकेशन भी ऑनलाइन हाजिरी की एक प्रमुख समस्या है।कुछ विद्यालय क्षेत्र ऐसे हैं जहां जीपीएस लोकेशन सटीक नहीं आती, जिससे उपस्थिति रद्द हो जाती है।
लिहाजा इस स्थिति में विकल्प के तौर पर परम्परागत पुरानी पद्धति को जी व्यवहृत करना पड़ेगा,जोकि योजना पर भारी पड़ सकती है। डिजिटल साक्षरता की कमी भी इसकी प्रमुख समस्या है।विशेषकर वृद्ध शिक्षकों को मोबाइल आधारित प्रणाली में कठिनाई होती है तथा डाटा की गोपनीयता का संकट शिक्षकों व कर्मचारियोंबके लिए मुसीबत बन सकता है।व्यक्तिगत मोबाइल नंबर, लोकेशन व डाटा सरकार के सर्वर पर संग्रहित होने से गोपनीयता की चिंता उठनी स्वाभाविक है।
इन तमाम असुविधाओं और दिक्कतों के बावजूद भी ऑनलाइन हाजिरी का प्रयास स्वागत योग्य है।इसे और भी कारगर बनाने हेतु सुधार के सुझावो पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।जैसे – ऑफलाइन हाजिरी का बैकअप विकल्प होना चाहिए।इससे नेटवर्क बाधा की स्थिति में हाजिरी ऑफलाइन दर्ज होकर बाद में सिंक होनी चाहिए। सरकार को मोबाइल एप को हल्का और तेज़ बनाना चाहिए।अतएव सस्ते ऐप का प्रयोग इस योजना के लिए कारगर नहीं होगा।
इसके अलावा
एप का यूआई/यूएक्स सरल हो तथा वह कम इंटरनेट में भी कार्य करे,विद्यालय में वाई-फाई या हॉटस्पॉट की व्यवस्था हो और हर विद्यालय में सरकार की ओर से न्यूनतम इंटरनेट सुविधा उपलब्ध कराई जाए टेक्निकल हेल्पडेस्क की व्यवस्था होनी चाहिए और प्रत्येक ब्लॉक स्तर पर एक तकनीकी सहायक नियुक्त हो जो शिक्षकों को सहायता प्रदान करे।साथ ही साथ जिम्मेदार अधिकारियों पर निगरानी,शिक्षकों पर कठोरता के बजाय व्यवस्था की बाधाओं पर अधिक ध्यान दिया जाए,प्रशिक्षण सत्र आयोजित हों।
इस निमित्त समय-समय पर शिक्षकों को डिजिटल हाजिरी हेतु प्रशिक्षण दिया जाए। ऑनलाइन हाजिरी व्यवस्था एक प्रशंसनीय प्रयास है लेकिन वर्तमान समय में यह तकनीक और व्यवस्था के समन्वय की परीक्षा है। यदि सरकार इस व्यवस्था में प्रौद्योगिकी, प्रशिक्षण और मानवता तीनों का संतुलन रखे तो यह निश्चित रूप से उत्तर प्रदेश की शिक्षा प्रणाली को पारदर्शी और सशक्त बनाएगी अन्यथा इस महत्वाकांक्षी योजना का भी टांय टांय फुस्स होना इसकी नीयत बन जाएगी।





