मानसिक स्वास्थ्य ही तनाव से बचाव का साधन :- डॉ. पारुल यादव

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अवधी खबर संवाददाता
कटेहरी अम्बेडकरनगर।देव इंद्रावती महाविद्यालय में राष्ट्रीय सेवा योजना की चारों इकाई व रिलायंस फार्मा लिमिटेड के संयुक्त तत्वाधान में मानसिक स्वास्थ्य एवम् तनाव प्रबंधन विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. पारुल यादव, असिस्टेंट प्रोफेसर मेडिकल कॉलेज टांडा अम्बेडकर नगर उपस्थित रही।महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ ए बी सिंह ,राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी डा अमित पांडेय के द्वारा डॉ. पारुल यादव का पुष्प गुच्छ भेंट कर एवं डॉ. सीमा पटेल के द्वारा पट्टिका भेंट कर स्वागत किया गया।

मुख्य अतिथि डॉ. पारुल यादव ने कहा आज के व्यस्ततम जीवन में कार्य की अधिकता, अति महत्वाकांक्षा के कारण बालक बालिकाएं मानसिक स्वास्थ्य ,उच्च रक्त छाप, हाइपर टेंशन से युक्त हो रहे हैं। जब कोई व्यक्ति अपनी क्षमता व कमजोरी को समझता है तो उसे स्वास्थ्य कहा जा सकता है। मेंटल इनलेस का समाधान योगा एवं दिन चर्या में सुधार के साथ साथ समय पर चिकित्सीय परीक्षण कराना चाहिए। मानसिक तनाव होने पर व्यक्ति अपने होश खो देता है और कभी कभी तनाव बढ़ जाने पर आत्महत्या भी कर लेता है हमे कम से कम सात घंटे सोना चाहिए ।

सोने से दो घंटे पहले मोबाइल का प्रयोग नहीं करना चाहिए सोने का प्रत्येक व्यक्ति को समय निर्धारित करना चाहिए ।उसे सदैव संतुलित आहार लेना चाहिए। यदि हम शारीरिक रूप से स्वास्थ्य हैं तो तनाव पर विजय प्राप्त कर सकते हैं।व्यक्ति को सदैव सकारात्मक सोचना चाहिए। स्वास्थ्य व्यक्ति नकारात्मक सोच पर विजय प्राप्त कर लेता है ,अपने भावना पर नियंत्रण रखना ,सोचने की क्षमता विकसित ,समायोजन की क्षमता ,उत्तम सदैव सकारात्मक सोचना जैसी क्षमता होती है।

गर्भवती महिलाओं को तनाव नहीं लेना चाहिए यदि वह तनाव लेती है तो उसके गर्भस्थ शिशुओं को तनाव आनुवंशिक प्राप्त हो सकता है। सामान्य जीवन मुश्किल होना ,पढाई में मन न लगना, चिड़चिड़ापन का होना, आत्मविश्वास की कमी, आत्महत्या के विचार आना जल्दी नीद न आना ,सदैव दुःखी रहना , नशा करना आदि मानसिक तनाव मानसिक रोगी होने के मुख्य लक्षण हो सकते हैं।

प्राचार्य डॉ ए बी सिंह ने कहा स्वास्थ्य रहने के लिए सभी को अपने खान पान में सुधार करना होगा। आज कल शारीरिक व्यायाम की कमी होती चली जा रही है सोशल मीडिया का अनियंत्रित उपयोग और फास्ट फूड के अंधाधुंध सेवन से मानव शरीर में नकारात्मक बदलाव हो रहे है , जिससे हम अनजान है , समय से हमे अपने जीवन के प्रति जिम्मेदार होकर अपने जीवनशैली में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव करने की आवश्यकता है । तनाव के लिए परिवार समाज की परिस्थिति माता पिता का व्यवहार भी जिम्मेदार है ।

मानसिक स्वास्थ्य एवम् तनाव जागरूकता अभियान का संचालन कार्यक्रम अधिकारी डा तेज भान मिश्र व आभार डा ए बी सिंह ने व्यक्त किया। इस अवसर पर में मुख्य रूप से डॉ अमित पांडेय ,डॉ प्रभाकर तिवारी , सुधीर पांडेय डॉ शिल्पी, डॉ. बीरबल शर्मा एवं चारों इकाई के सभी छात्र – छात्राएं उपस्थित रहे ।


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