परसरामपुर ब्लॉक का गांव बिजली से वंचित, ग्रामीण बोले — विकास सिर्फ कागज़ों पर
अवधी खबर संवाददाता
बस्ती। विकास के दावे चाहे जितने बुलंद हों, लेकिन हकीकत अब भी अंधेरी है। परसरामपुर ब्लॉक की ग्राम पंचायत मजगवां माफी आज भी बिजली के बिना तड़प रही है। आज़ादी के 75 साल बाद भी सैकड़ों घरों तक रोशनी नहीं पहुंच पाई है।
ग्राम प्रधान रामजी ने 13 अक्टूबर 2025 को पत्रांक 201 के तहत संबंधित विभाग को पत्र भेजकर गांव की दुर्दशा उजागर की है। उनका कहना है कि करीब 30 प्रतिशत घर अब तक बिजली से वंचित हैं, जबकि जुड़े घरों में भी अस्थायी और खतरनाक तारों का इंतज़ाम है। बांस-बल्लियों पर लटकते तार, झुके पोल और टूटी केबल किसी बड़े हादसे को न्योता दे रहे हैं।
गांव में लगा 25 केवीए का ट्रांसफार्मर पूरी तरह ओवरलोड है। एक ही ट्रांसफार्मर पर 70 से अधिक कनेक्शन लटक रहे हैं। वोल्टेज गिरने और फाल्ट की घटनाएं आम हैं, जिससे ग्रामीणों के उपकरण जलना रोज़ की बात हो गई है।
जेनपुर टोला के आधे से ज़्यादा घर अब तक बिजली से वंचित हैं। लालटेन और दीये की रोशनी में रातें कटती हैं, बच्चे पढ़ाई नहीं कर पा रहे, और किसान डीज़ल पंप से सिंचाई को मजबूर हैं। ग्रामीण रामजनक, महेश, गंगाराम और रमाशंकर का कहना है सरकारें बदलीं, वादे बदले, पर हमारे घर का अंधेरा वही रहा। प्रधान रामजी के अनुसार, तारों से चिंगारी उठने की शिकायत कई बार की गई, लेकिन विभाग ने आज तक निरीक्षण नहीं किया। पश्चिम टोले में रामखर्ज के घर और पूरब में रामजनक के घर के पास लगा पुराना ट्रांसफार्मर अब हादसे को दावत दे रहा है।
ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द नया ट्रांसफार्मर नहीं लगा और जर्जर पोल व केबल की मरम्मत नहीं हुई तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे।
ग्रामीणों की एक ही मांग है की
हम वोट देते हैं, टैक्स देते हैं, तो रोशनी का हक़ भी हमारा है।
मजगवां माफी आज सरकारी दावों और जमीनी सच्चाई के बीच अंधेरे की परछाई बन चुका है। विकास तब पूरा होगा, जब हर घर सचमुच रोशन होगा।




