
संवाददाता अवधी खबर
अंबेडकरनगर। कृषि विज्ञान केंद्र पाँती में डॉ. रामजीत वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष की देखरेख में शिवम कुमार वैज्ञानिक पादप रोग विभाग द्वारा पाँच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम- मधुमक्खी पालन एवं प्रबन्धन का समापन संपन्न हुआ ! आज के दिन शिवम कुमार ने किसानो को मधुमक्खियों की विभिन्न प्रजातियों की विशेषताओं के बारे मे बताया ! उन्होंने साथ ही साथ उनके शहद उत्पादन की क्षमताओं के बारे मे भी किसानो के साथ चर्चा की ! उन्होंने मधुमक्खियों के छत्ते में उपस्थित विभिन्न प्रकार की छोटी छोटी मधुमक्खियों के कार्यों एवं उनके जीवनकाल के बारे में भी किसानो के साथ चर्चा की ! डॉ. रामजीत ने किसानो के साथ मधुमक्खी पालन से होने वाले विभिन्न लाभों एवं शहद के औषधीय गुणों पर चर्चा करे !
डॉ. रामजीत ने किसानो को फसलोत्पादन के साथ साथ मधुमक्खी पालन अपनाकर अपनी आय में वृद्धि करने की सिफारिश की ! डॉ. राम गोपाल (वैज्ञानिक, सस्य विज्ञान विभाग) ने वर्ष भर मे होने वाली विभिन्न फसलों, जिनसे मधुमक्खियों को अधिकतम मात्रा मे शहद मिल सकता है ; के बारे में किसानो के साथ चर्चा की। डॉ. प्रशान्त कुमार वैज्ञानिक पशु विज्ञान विभाग ने किसानो को मधुमक्खी पालन में उपयोग होने वाले विभिन्न उपकरणों एवं उनके इस्तेमाल की जानकारी दी। उन्होंने किसानो को बताया कि मधुमक्खियों से बचाव के लिए एक टोपीनुमा हैट , जिसको बी वैल कहते है, का इस्तेमाल मधुमक्खियों की कॉलोनी विभाजन के समय किया जाता है, एवं उनके ऊपर एक धुंए का छिड़काव करने के लिए स्मोकर का इस्तेमाल किया जाता है जिसके अंदर गाय के गोबर या कार्डबोर्ड का धुआं भरा जाता है। ये धुआं मधुमक्खियों द्वारा उत्सर्जित फेरोमोन्स को ढकने का कार्य करता है।जिससे उनको एक दूसरे से सिग्नल नहीं मिल पाते। परिणामस्वरूप कॉलोनी विभाजन बिना मधुमक्खियों को उत्तेजित किये आसानी से किया जाता है। डॉ. रेखा वैज्ञानिक कृषि प्रसार विभाग ने भी किसानो को शहद, मौन के लाभों एवं मधुमक्खी द्वारा प्रागण क्रिया से होने वाले अप्रत्यक्ष लाभों की जानकारी दी।





