निर्धारित शुल्क देने के बावजूद अतिरिक्त सुविधा शुल्क देने को मजबूर हो रहे जरुरतमंद
प्रमोद वर्मा
अंबेडकरनगर( अवधी खबर)। उप निबंधन कार्यालय अकबरपुर में भ्रष्टाचार का बोलबाला है कई बिचौलिये सक्रिय हैं।मिली जानकारी के अनुसार जो बिना स्थायी- अस्थायी नियुक्ति और मानदेय के काम करते हैं। इनकी दखल हर टेबल पर होती है। जमीनों के बैनामों में स्टांप कम तो नहीं जमा किया गया, इसके लिए स्पॉट निरीक्षण जैसी गंभीर प्रक्रिया भी ऐसे लोगों के जिम्मे है।
कुछ तो ऐसे हैं जो अधिकारियों के घर सुबह-शाम खानसामे का काम करने के साथ दिन में रजिस्ट्री विभाग में सरकारी कर्मचारियों की तरह महत्वपूर्ण पटल के काम भी करते दिख जाते हैं।विभाग में बिचौलियों की गहरी दखल पर नाम न छापने की शर्त पर रजिस्ट्री समेत कुछ अन्य विभागों के अधिकारियों की दलील है कि विभाग में कर्मचारियों की कमी है और काम अधिक है। स्टांप, बैनामा करने वाले क्रेता, विक्रेता, गवाहों की जांच समेत कई तरह की प्रक्रिया होती है।
ऐसे में कुछ कर्मचारी चाय-पानी के नाम पर विभाग में रखे जाते हैं। हालांकि, इनसे महत्वपूर्ण काम नहीं लिया जाता है। सभी की निगरानी होती है। बैनामा के कागजात, स्पॉट निरीक्षण जैसे सभी अहम काम उप निबंधक और विभाग के स्थायी कर्मचारी ही करते हैं। रजिस्ट्री कार्यालय में भी बिना किसी मानदेय के बाहरी लोगों से काम लेने की प्रक्रिया आम है। जांच हो तो सब साफ हो जाएगा।शासन के द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुसार निर्धारित शुल्क देने के बावजूद अतिरिक्त सुविधा शुल्क देने को जरुरतमंद मजबूर हो रहे हैं।
अकबरपुर बैनामा दफ्तर के इंचार्ज सब रजिस्ट्रार, निबंधन सहायक और स्टाम्प वेंडर, दस्तावेज लेखक व अन्य बाहरी दलालों की मिलीभगत से क्रेता और विक्रेता दोनों परेशान हो चुकें हैं। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, अकबरपुर के उप निबंधक कार्यालय में जबरदस्त भ्रष्टाचार कायम है। उप निबंधक कार्यालय अकबरपुर में जमीन की खरीद-फरोख्त के अंतर्गत कराए जाने वाला बैनामा विवाह रजिस्ट्रेशन, ट्रस्ट रजिस्ट्रेशन आदि कार्य करवाने आने वाले लोगों में हो रही चर्चाओ में यहां व्याप्त भ्रष्टाचार के बारे में प्रायः सुना जाता है।
कहते हैं कि बैनामा लिखे जाते समय अनुमानित मालियत का आधा परसेंट और रजिस्ट्रेशन फीस में 500 अतिरिक्त तथा ऑफिस में तैनात निबंधन लिपिक द्वारा ऑनलाइन के दौरान उच्च अधिकारी के नाम पर 500 रुपए प्रति दस्तावेज फरियादियों से बकायदा वसूल किया जा रहा है।
उप निबंधक कार्यालय में आए हुए जरुरतमंदों की चर्चाओं के अनुसार जिन फरियादियों द्वारा अतिरिक्त सुविधा शुल्क अदा कर दिया जाता है। उनकी पत्रावली तेजी गति से टेबल टू टेबल दौड़ने लगती है। जरुरतमंद द्वारा अतिरिक्त सुविधा शुल्क न दिए जाने पर शोर-शराबा किया जाता है तो उसकी पत्रावली में तरह-तरह से आपत्तियों का ढेर निकाल दिया जाता है।
जरुरतमंदों को उप निबंधक कार्यालय का चक्कर लगवा कर चप्पल घिसवा दिया जाता है। मजबूरन क्रेता और विक्रेता अपने कार्य के निष्पादन के लिए अतिरिक्त सुविधा शुल्क देने को मजबूर हो जाता है। ऐसी स्थिति में यदि उच्च स्तरीय जांच उप निबंधक कार्यालय में कराई जाए, तो सच्चाई अवश्य ही सामने आएगी।





