अवधी खबर संवाददाता
अम्बेडकर नगर। जिला पंचायत अध्यक्ष साधू वर्मा उर्फ श्याम सुंदर वर्मा की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। झूठे शपथ पत्र का मामला अभी ठंडा नहीं हुआ, कि अब 97 बड़े विकास कार्यों पर तकनीकी सम्प्रीक्षा प्रकोष्ठ (टीएसी) की सख्त निगाह पड़ गई है। टीएसी टीम आज जिला मुख्यालय पहुंचकर धरातलीय जांच शुरू करेगी। सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को अनिवार्य रूप से उपस्थित होने का आदेश जारी किया गया है।
झूठे शपथ पत्र का मामला: पुराना जख्म
साधू वर्मा पर 2021 के जिला पंचायत चुनाव में नामांकन पत्र (हलफनामा) में 2018 का एससी-एसटी एक्ट के तहत दर्ज आपराधिक मामला छुपाने का गंभीर आरोप लगा था। शिकायतकर्ता ने टांडा कोतवाली में तहरीर देकर जनप्रतिनिधित्व अधिनियम का उल्लंघन बताया। अगर आरोप साबित हुआ, तो साधू वर्मा की सदस्यता रद्द हो सकती है। स्थानीय कार्यकर्ता इसे भाजपा की आंतरिक कलह या विपक्ष की चाल बता रहे हैं। उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने हाल ही में साधू वर्मा से मुलाकात की थी, लेकिन मामला और गहरा गया है।
97 विकास कार्यों की केंद्रीय जांच — करोड़ों की अनियमितताओं का अंदेशा
जिला पंचायत के 97 विकास कार्यों में ग्रामीण सड़कें, हैंडपंप, सामुदायिक भवन और स्वच्छता योजनाएं शामिल हैं। प्रारंभिक शिकायतों में घटिया सामग्री, अतिरिक्त बिलिंग और फर्जी माप की जानकारी मिली है। टीएसी की जांच मे अनियमितताएं पाए जाने पर फंडिंग रोकने, एफआईआर दर्ज करने और जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई की संभावना है। पिछले साल जिला पंचायत राज विभाग ने 200 करोड़ से अधिक खर्च किए, फिर भी ग्रामीणों की शिकायतें लगातार बढ़ती रही।
ग्रामीण नाराज हैं: “विकास के नाम पर सिर्फ कागजी कारनामा!”राजनीतिक तूफान और चुनावी असर_
झूठे शपथ पत्र का मामला अभी कोर्ट-कचहरी में है, और अब टीएसी की जांच ने जिला पंचायत को हिला दिया है। साधू वर्मा पर दबाव बढ़ा—एक तरफ उपमुख्यमंत्री से मुलाकातें, दूसरी तरफ विपक्षी दलों की तीखी आलोचना।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर टीएसी रिपोर्ट में बड़ा घोटाला सामने आया, तो न केवल फंडिंग रुकेगी, बल्कि भाजपा की ग्रामीण पकड़ भी कमजोर पड़ सकती है। स्थानीय पत्रकार और सामाजिक संगठन मांग कर रहे हैं कि जांच पारदर्शी तरीके से वीडियो रिकॉर्डिंग के साथ हो और रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए।
आज का दिन जिला पंचायत और साधू वर्मा के लिए निर्णायक साबित होगा—क्या वह बच पाएंगे या यह घोटाला विभागीय प्रणाली की कमजोरी को उजागर करेगा?





